
बीएचयू ट्रामा सेंटर बना यातना गृह! 8 जून को मौन जुलूस का ऐलान, प्रभारी के बर्खास्तगी की मांग
डॉ. मृत्युंजय तिवारी 'आजाद' और छात्र नेताओं ने लगाया भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी, और प्रशासनिक लापरवाही का आरोप




वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के ट्रामा सेंटर प्रभारी के खिलाफ छात्रों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ट्रामा सेंटर भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी, और प्रशासनिक लापरवाही का आरोप लगाकर छात्र नेता डॉ. मृत्युंजय तिवारी 'आजाद', पूर्व छात्र परिषद सदस्य अभिषेक कुमार सिंह और छात्र नेता अभय सिंह 'मिक्कू' ने पराड़कर भवन में पत्रकार वार्ता कर ट्रामा सेंटर के प्रभारी डॉ. सौरभ सिंह के बर्खास्तगी की मांग की। उन्होंने कहा कि ट्रामा सेंटर मरीजों के लिए यातना गृह बन गया है।


छात्र नेताओं ने कहा कि डॉ. सौरभ सिंह ने ट्रामा सेंटर को अपनी "व्यक्तिगत जागीर" बना लिया है। आरोप है कि बाउंसरों के जरिए मरीजों, तीमारदारों, छात्रों और शिक्षकों तक को धमकाया और अपमानित किया जा रहा है। 26 मई की घटना को "काशी हिंदू विश्वविद्यालय पर कलंक" बताते हुए उन्होंने इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की।


डॉ. तिवारी ने आरोप लगाया कि ट्रामा सेंटर में भ्रष्टाचार चरम पर है। जैम पोर्टल के माध्यम से 10 रुपये के साबुन को 50 रुपये में और 2 रुपये की सिरिंज को 50 रुपये में खरीदा गया है। इस खुलासे की जांच रिपोर्ट को पूर्व कुलपति ने दबा दिया।
छात्र नेताओं की प्रमुख माँगें इस प्रकार हैं:

- ट्रामा सेंटर प्रभारी का पद तत्काल समाप्त कर संचालन निदेशक चिकित्सा विज्ञान संस्थान को सौंपा जाए।
- 26 मई की घटना की निष्पक्ष जांच हेतु डॉ. सौरभ सिंह को बर्खास्त किया जाए।
- त्रिपाठी-उपाध्याय जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और दोषियों को दंडित किया जाए।
- निजी पैथोलॉजी और पैथोलॉजी ठेके बंद किए जाएं।
- मेडिकल अधीक्षक के. के. गुप्ता को पदमुक्त किया जाए।
- अस्पताल का निजीकरण बंद हो।
- आयुष्मान भारत योजना में आ रही बाधाओं को दूर किया जाए।
- बाउंसर हटाकर शांति सैनिक तैनात किए जाएं।
- मरीजों से बदसलूकी रोकने के लिए नियम बनाए जाएं।
- आपात स्थिति में मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया जाए।
छात्र नेताओं ने बताया कि आंदोलन के प्रथम चरण में 300 छात्रों ने केंद्रीय कार्यालय का घेराव किया था। अब दूसरे चरण में आगामी 8 जून को डॉ. अरविंद कुमार शुक्ल के नेतृत्व में छात्र, पूर्व छात्र, नागरिक, अधिवक्ता, पत्रकार और डॉक्टर मिलकर मौन जुलूस निकालेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर संपूर्ण घटनाक्रम से अवगत करा दिया गया है। यह आंदोलन केवल प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य अधिकार की रक्षा के लिए है।

