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BHU की छात्रा अर्चिता सिंह को 8 दिन बाद मिला न्याय, खिले चेहरे

हिंदी विभाग पीएचडी में एडमिशन न होने से नाराज होकर बैठी थी धरने पर 

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archita sing bhu
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कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने दिया था साथ

विश्वविद्यालय प्रशासन ने एडमिशन के लिए पेमेंट लिंक भेजा

वाराणसी, भदैनी मिरर। BHU केंद्रीय कार्यालय के बाहर पीएचडी प्रवेश में अनियमितता के खिलाफ धरने पर बैठी छात्रा अर्चिता सिंह को आठ दिनों की कठिन लड़ाई के बाद आखिरकार न्याय मिला। गुरूवार को बलिया की इस बेटी को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से एडमिशन के लिए पेमेंट लिंक मिल गया। लिंक मिलते ही धरनास्थल पर बैठी छात्रा ने तो राहत महसूस की लेकिन अर्चिता की लड़ाई में उसका साथ दे रहे छात्र-छात्राओं की खुशी का ठिकाना न रहा। साथियों की खुशी का आलम यह रहा कि उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि उनको बहुत कुछ मिल गया। 

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गरमा गई थी बनारस की सियासत

आपको बता दें कि हिंदी विभाग पीएचडी में रैंक आने के बाद अर्चिता ने प्रवेश के लिए सारे कागजात दिये थे। ईओडब्ल्यू समेत सारे कागजात समय से दिये जाने के बावजूद उसे प्रवेश नही मिल सका था। विश्वविद्यालय प्रशासन तकनीकी खामी बताकर प्रवेश लेने में आनाकानी कर रहा था। इसी बीच आरोप लगा कि भाजपा की छात्र इकाई के एक छात्र को एडमिशन देने के लिए उसे रोका जा रहा है। इसे लेकर बनारस की सियासत गरमा गई थी।

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इसकी जानकारी के बाद जिला व महानगर कांग्रेस, करणी सेना, समाजवादी पार्टी समेत विभिन्न सामाजिक और शैक्षणिक संगठनों के लोग अर्चिता से मिलने पहुंचे थे। सबने अर्चिता की लड़ाई में साथ देने का आश्वासन दिया और उसका हौंसला बढ़ाते रहे। इस प्रचंड गर्मी में भी अर्चिता ने हिम्मत नही हारी और धरने पर बैठी रही। दो दिन पहले लू लगने से उसकी हालत बिगड़ गई। साथियों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। इलाज के बाद हालत सुधरने पर अर्चिता फिर लौटी और धरने पर बैठ गई थी। आशा और निराशा के बीच झूल रही इस छात्रा को आखिरकार आज जीत मिल गई। इसके साथ ही छात्रा के शैक्षणिक जीवन का एक ऐसा इतिहास उसके साथ जुड़ गया। जिस विश्वविद्यालय में सामान्य प्रक्रिया के तहत कईयों के एडमिशन हो गये वहीं इस छात्रा को कड़े संघर्षों का सामना करना पड़ा।

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सपा सांसद पहुंचे थे अर्चिता से मिलने

धरने के दौरान छात्रा से मिलने चंदौली के सपा सांसद वीरेंद्र सिंह, करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष, जिला एवं महानगर कांग्रेस आदि के लोग धरनास्थल पहुंचे थे। एडीएस सिटी ने भी बात की थी। आपको यह भी बता दें कि इससे दलित छात्र शिवम सोनकर को भी अपने एडमिशन के लिए 14 दिनों तक धरना देना पड़ा। तब उसका एडमिशन हो सका था।

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