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BHU के प्रोफेसर संजय गुप्ता का ‘शांति आंदोलन‘ दूसरे दिन भी जारी, नहीं हुई कोई सुनवाई

जूनियर को डीन बनाए जाने और यूजीसी गाइडलाईन के खिलाफ काम करने से नाराज हैं प्रोफेसर

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sanjay gupta
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आईएमएस डायरेक्टर ऑफिस के पास सत्याग्रह शांति आंदोलन जारी

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में तो अनियमितता, मनमानेपन, अपराध और भ्रष्टाचार को लेकर तो धरना-प्रदर्शन तो दौर ही शुरू हो चुका है। विश्वविद्यालय में सालों से यह ऐसा रोग लग गया है जो लाइलाज है। फिलहाल पिछले एक सप्ताह से लगातार कहीं ना कहीं किसी समस्या को लेकर छात्र लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इतना ही नहीं विश्वविद्यालय के छात्र, रेजीडेंट डाक्टर और प्रोफेसर भी धरना-प्रदर्शन के लिए बाध्य हैं। इसी क्रम में बीएचयू के प्रोफेसर संजय गुप्ता मंगलवार से धरने पर बैठे हैं। हालांकि उन्होंने अपने इस आंदोलन को शांति आंदोलन नाम दिया है। विरोध का स्वर वही है लेकिन इनका तर्ज बदला हुआ है। 

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आपको बता दें कि पिछले दो दिनों से वरिष्ठ मनोचिकित्सक प्रोफेसर डॉक्टर संजय गुप्ता सहयोगियों के साथ आईएमएस डायरेक्टर के ऑफिस के पास सत्याग्रह शांति आंदोलन कर रहे हैं। वह इसलिए कि यूजीसी की गाइडलाइन के खिलाफ उनके जूनियर को डीन बना दिया गया। उनकी उपेक्षा की गई। यूजीसी की गाइडलाइन के खिलाफ काम किये जाने से नाराज मनोचिकित्सक प्रो. संजय गुप्ता ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ मंगलवार से ही मोर्चा खोल दिया हैं। उन्होंने आईएमएस बिल्डिंग में डीन आफिस के बाहर रिसेप्शन पर ही शांति आंदोलन शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि मेरा यह आंदोलन मेरे कार्यदिवस के दौरान चलता रहेगा। जबतक उन्हें न्याय नही मिल जाता आंदोलन जारी रहेगा। इससे विश्वविद्यालय प्रशासन में खलबली मची और डायरेक्टर ने वार्ता भी की लेकिन कोई सकारात्मक हल नही निकल सका। नतीजा यह रहा कि हक की मांग करनेवाले प्रोफेसर को दूसरे दिन बुधवार को भी अपना आंदोलन जारी रखना पड़ा। 

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प्रोफेसर डॉक्टर संजय गुप्ता का कहना है कि वह अन्याय के विरुद्ध अपना शांतिपूर्ण प्रतिरोध दर्ज करा रहे हैं। यूजीसी की नियमावली के अनुसार उन्हें डीन (मेडिसिन) का कार्यभार मिलना चाहिए। लेकिन डीन जैसे प्रतिष्ठित पद पर नियमावली के विरुद्ध जाकर नॉन एलिजिबल व्यक्ति को बैठा दिया गया। इसलिए उन्हें शांति आंदोलन शुरू करना पड़ा। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस) के फैकल्टी ऑफ मेडिसिन के साइकेट्री डिपार्टमेंट के प्रो. संजय गुप्ता द्वारा विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार, रजिस्ट्रार अरुण कुमार सिंह, आईएमएस के डायरेक्टर प्रोफेसर एस.एन शंखवार को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण से अवगत कराया गया। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार उनको फेकेल्टी ऑफ मेडिसिन का डीन बनाया जाना चाहिए था।

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इसके बावजूद गाइडलाइन की अनदेखी करते हुए उनसे जूनियर को फैकल्टी ऑफ मेडिसिन का डीन बनाया दिया गया। प्रोफेसर संजय गुप्ता आईएमएस बिल्डिंग स्थित मेडिसिन विभाग के डीन ऑफिस में ’डीन बाई रूल’ लिखकर शांति आंदोलन पर बैठे हैं। बताया जाता है कि आईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में नियुक्त डॉ. सम्पा अनुपूर्वा एक जून से फेकेल्टी ऑफ मेडिसिन के डीन के पद पर कार्यरत हैं जो प्रो. संजय गुप्ता से एक माह जूनियर हैं। जूनियर को डीन बनाए जाने से नाराज प्रो. संजय गुप्ता ने आंदोलन शुरू कर दिया है। उनके समर्थन में दो सहयोगी उनके साथ हैं। उनका कहना है कि जब तक उन्हें उनका अधिकार नही मिल जाता तब तक मैं यहां से नहीं हटूंगा।

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