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BHU IIT ने विकसित की ड्रोन आधारित अनंत-सीमा संचार तकनीक 

वैज्ञानिकों ने हासिल की संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि 

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विश्वसनीय और लंबी दूरी की संचार व्यवस्था का नया रास्ता खुला 

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी के महामना मदन मोहन मालवीय की तपोभूमि बीएचयू के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT-BHU) वाराणसी के वैज्ञानिकों ने संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संस्थान की शोध टीम ने एक ऐसी प्रणाली विकसित की है जो बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी के और लगभग अनंत दूरी तक छवियों और संदेशों को साझा करने में सक्षम है। इस नवाचार में विशेष रूप से निर्मित उपकरणों और ड्रोन-आधारित रिले नेटवर्क को जोड़ा गया है। इसमें विश्वसनीय और लंबी दूरी की संचार व्यवस्था का नया रास्ता खुला है।

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सह आचार्य डॉ. हरि प्रभात गुप्ता, कंप्यूटर विज्ञान और अभियांत्रिकी विभाग के नेतृत्व में शोध टीम ने एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर ट्रांसमिशन प्रणाली (SSTM) विकसित की है, जो स्वायत्त ड्रोन का उपयोग करके डेटा को बड़ी दूरी तक ले जाने और आगे बढ़ाने का कार्य करती है। यहां तक कि उन क्षेत्रों में भी जहां किसी प्रकार की संचार अवसंरचना मौजूद नहीं है। यह तकनीक वास्तविक समय में छवियों और पाठ संदेशों को साझा करने की सुविधा देती है। इससे संचार उन दूरदराज़, बाधित या उच्च हस्तक्षेप वाले क्षेत्रों में भी संभव हो पाता है। इस प्रणाली का परीक्षण कई चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में किया गया है। इनमें सिग्नल अवरोधित और दुर्गम क्षेत्रों का अनुकरण किया गया है। डॉ. हरि प्रभात गुप्ता गुप्ता के अनुसार, यह ड्रोन एक गतिशील जाल नेटवर्क (dynamic mesh network) बनाते हैं, जो भौगोलिक परिस्थितियों और गतिशीलता के अनुसार स्वयं को अनुकूलित करता है। यह प्रणाली रक्षा क्षेत्र, सीमा निगरानी, सीमावर्ती क्षेत्रों में संचार और आपदा प्रबंधन के लिए विशेष रूप से उपयुक्त मानी जा रही है। परिणामस्वरूप यह एक विस्तारित करने योग्य, किफायती और बुद्धिमान संचार प्रणाली है। इसका उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा, आपातकालीन बचाव कार्यों और ऑफ-ग्रिड मिशन-आधारित संचालन में किया जा सकता है। 

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यह शोध कार्य आंशिक रूप से TII-UAE, IDAPT-Hub Foundation (IIT-BHU) और SERB द्वारा समर्थित है। टीम अब इस तकनीक को स्मार्ट अवसंरचना, भूमिगत और दुर्गम क्षेत्रों में संचार तथा भविष्य के अंतरिक्ष-से-पृथ्वी अनुप्रयोगों के लिए विस्तार देने की योजना बना रही है। अगला चरण — AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) आधारित स्वचालित ड्रोन पथ अनुकूलन और सुरक्षित संचार के लिए एन्क्रिप्शन स्तरों का एकीकरण है। IIT के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने इस शोध कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए टीम के सदस्यों को बधाई दी। संस्थान ने इस शोध के लिए वित्तीय और संरचनात्मक दोनों प्रकार का सहयोग प्रदान किया है। साथ ही संस्थान अगली उपलब्धि के लिए भी सहयोग कर रहा है। इसमें मौजूदा बहु-मंजिला इमारतों को LoRaWAN प्रणाली में परिवर्तित करने की योजना है।

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