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BHU- IIT प्रशासन का नया फरमान, पदोन्नति के लिए कर्मचारियों को देनी होगी परीक्षा

कर्मचारियों में मचा हड़कम्प, लगाया आरोप परीक्षा के बहाने पहले ही भेदभाव का दंश झेल रहे कर्मचारी

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IIT BHU
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दो जून को भेजा गया ई-मेल, 20 जून को हाईस्कूल स्तर की देनी होगी परीक्षा

इंटरव्यू के नाम पर वरिष्ठ कर्मचारी मदन कुमार के साथ हुआ था भेदभाव, खटखटाना पड़ा था हाईकोर्ट का दरवाजा

वाराणसी, भदैनी मिरर। भारतीय प्रौ‌द्योगिकी संस्थान (IIT) काशी हिंदू विश्ववि‌द्यालय (BHU) में लम्बे समय तक नौकरी करने और रिटायरमेंट के करीब आ गये कर्मचारियों को अब पदोन्नति के लिए परीक्षा देनी होगी। आईआईटी प्रशासन के इस नये फरमान से कर्मचारियों में हड़कम्प मच गया है। तकनीकी कर्मचारियों का कहना है कि संस्थान में जीवन भर सेवा देने के बाद रिटायरमेंट के समय लिखित परीक्षा लेने का क्या प्रावधान है ? 

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आपको बता दें कि तकनीकी कर्मचारियों को आईआईटी प्रशासन द्वारा 2 जून को ई मेल के माध्यम से सूचना दिया गया है कि दिनांक 20 जून को शाम 4 बजे पदोन्नति के लिए हाईस्कूल स्तर की लिखित परीक्षा देनी पड़ेगी। यह सूचना मिलते ही सभी तकनीकी कर्मचारीयों में हड़कंप मच गया। कुछ ने कहाकि क्या मजाक है, वह भी ऐसे समय में जब कुछ कर्मचारी 30 जून को ही रिटायर होनेवाले हैं। उनका क्या होगा? कहीं इसके पीछे फेल-पास का खेल तो नहीं? उन्होंने कहाकि नियुक्ति के समय जूनियर हाइस्कूल के साथ आईटीआई होना नियुक्ति का पर्याप्त आधार था। फिर हाइस्कूल स्तर का प्रश्नपत्र कैसे पूछा जा सकता है।

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इसके अतिरिक्त हम सभी आपको अवगत करा रहें हैं कि 29 जून 2012 के समय संस्थान में कार्यरत तकनीकी कमर्चारियों की संख्या के लगभग एक तिहाई तकनीकी कर्मचारी ही वर्तमान समय में संस्थान में कार्यरत हैं। संस्थान के वरिष्ठ कर्मचारी मदन कुमार जो कि पिछले 41 वर्षों से संस्थान के लिए पूर्ण निष्ठा एवं उत्कृष्टता से कार्य कर रहें हैं। संस्थान द्वारा उनके पदोन्नत में भी इंटरव्यू कराकर उन्हें अयोग्य घोषित करते हुए उनसे 20 वर्ष जूनियर कर्मचारी को पदोन्नत कर दिया गया। जबकि नियम के विरुद्ध वरिष्ठता क्रम को भंग किया गया। इससे संस्थान की कार्य प्रणाली संदेह के घेरे में है। मदन कुमार को जब संस्थान से उचित जवाब नहीं मिला तो न्याय के लिए उन्हें हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

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इसके साथ उन्होंने आईआईटी प्रशासन का ध्यान इस विषय पर भी आकृष्ट कराया है कि पूर्व निदेशक प्रोफेसर राजीव संगल के कार्यकाल में तीन लिपिक वर्ग के कर्मचारियों को नियम विरुद्ध वित्तीय अपग्रेड किया गया था। फिर 2 वर्ष के बाद उनके वित्तीय अपग्रेड को पदोन्नत पद में परिवर्तित किया गया था। उन्होंने बताया कि भारतीय प्रौ‌द्योगिकी संस्थान के मिनिस्ट्रीयल के 2014, 2015 एवं 2016 बैच के कर्मचारियों को शत प्रतिशत पास करके पदोन्नत कर दिया गया। जबकि 2017 बैच के कर्मचारियों को बिना मापदंड के मनमाने ढंग से कनिष्ठ अधीक्षक पद के लिए त्रुटिपूर्ण (राजभाषा हिंदी के प्रश्न अंग्रेजी में) परीक्षा कराकर कुछ लोगों को जानबूझकर फेल कर दिया गया। उनके वरिष्ठता क्रम को भंग किया गया जो बिल्कुल न्यायसंगत नहीं है।

इसका नतीजा यह है कि मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों को भी आर्थिक एवं मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने आईआईटी प्रशासन से कहा है कि 29 जून 2012 के बाद से आज तक न तो कर्मचारियों का एक भी आवास बना और न ही स्थाई रूप से गैर शैक्षणिक कर्मचारी संघ का गठन हुआ जो संस्थान के नियम के विपरीत है। इसलिए आई.आई.टी. (बीएचयू) प्रशासन से हमारी मांग है कि सभी तकनीकी एवं मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों को अपग्रेड करते हुए उनके साथ न्याय किया जाय।
 

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