
BHU Blacklists 114 Students: हत्या, अश्लीलता और मारपीट के आरोपियों पर 2025‑26 में दाख़िला‑नौकरी दोनों पर रोक
कुलसचिव कार्यालय ने 4 जुलाई 2025 को चेतावनी पत्र जारी कर कहा— गंभीर आपराधिक मामलों में निलंबित/निष्कासित इन छात्रों को किसी कोर्स या पद पर न लिया जाए; 80 मारपीट‑तोड़फोड़, 6 अश्लील कृत्य, 4 हत्या और कोविड में रेमडेसिविर की कालाबाज़ारी तक के केस शामिल

Jul 6, 2025, 12:22 IST

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वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में प्रवेश काउंसिलिंग शुरू होने से पहले ही प्रशासन ने सख़्त कदम उठाते हुए 114 निलंबित व निष्कासित छात्रों की “काली सूची” जारी कर दी। कुलसचिव‑कार्यालय शिक्षण से 4 जुलाई 2025 को जारी पत्र में सभी विभागों और प्रवेश समन्वयकों को निर्देश है कि इन नामों को सत्र 2025‑26 के किसी भी पाठ्यक्रम या कर्मचारी पद पर न रखा जाये।


आंकड़ों पर एक नज़र
जारी सूची के मुताबिक मारपीट/तोड़फोड़ करने के आरोपी 80, अश्लील कृत्य व शारीरिक शोषण के 6, अपहरण के 4, हत्या के मामले में 4, धरना‑प्रदर्शन का उलंघन करने वाले 5, अन्य/प्रॉक्टोरियल बोर्ड की कार्रवाई की जद में आए 15 छात्र शामिल है। कुल 114 में से 50 से ज्यादा छात्रों को आजीवन निष्कासन, 8 को भविष्य में प्रवेश‑नौकरी दोनों पर पाबंदी, शेष को विभिन्न अवधियों तक निलंबित रखा गया है।


प्रधानमंत्री कार्यक्रम में अवरोध – आशुतोष कुमार और अमरेन्द्र को 2024 में मोदी के काफिले के आगे हंगामा करने पर निलंबित किया गया था।
कोविड काल का रेमडेसिविर रैकेट – स्पैनिश विभाग के सुनील कुमार पर महामारी के दौरान इंजेक्शन की अवैध बिक्री का आरोप है।
कम्युनिटी सेंटर की शादी में बवाल – कला, संस्कृत‑विद्या एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के चार छात्र हाथापाई के दोषी पाए गये; इनके भविष्य के प्रवेश और विश्वविद्यालय‑सेवा दोनों पर प्रतिबंध लगाया गया।

गौरव सिंह हत्याकांड– विनय द्विवेदी, कुमार मंगलम सिंह, रूपेश तिवारी और आशुतोष त्रिपाठी को सूची में शीर्ष स्तर की रोक है। विनय पर दो हत्याओं में STF गिरफ्तारियाँ भी दर्ज।
अश्लीलता का मामला– अंग्रेज़ी विभाग के पूर्व शोधार्थी पर शोध छात्रा के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप है, भविष्य में किसी भी प्रोग्राम में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है।
सूची क्यों जारी की गई?
BHU में UG‑PG काउंसिलिंग जुलाई‑अगस्त के दौरान चलेगी। पूर्व में घटी हिंसक घटनाओं को देखते हुए विश्वविद्यालय ने यह कदम “शिक्षण परिसर की सुरक्षा और शैक्षणिक माहौल की शुचिता” सुनिश्चित करने के लिए उठाया है। पत्र में सभी डीन, निदेशक और अस्पताल प्रशासन से कहा गया है कि वे ऑनलाइन पोर्टल व ऑफलाइन दस्तावेज़ों में इन नामों को क्रॉस‑चेक करें, ताकि कोई प्रतिबंधित छात्र प्रवेश या नियुक्ति न पा सके।
वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि “ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी” के तहत आपराधिक प्रवृत्ति वाले छात्रों के खिलाफ यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। विश्वविद्यालय ने संकेत दिया कि नामों की सूची हर वर्ष अपडेट की जाएगी और काउंसिलिंग‑सॉफ़्टवेयर में ‘रेड‑फ्लैग’ फीचर जोड़ा जाएगा।
“शैक्षणिक परिसरों में अपराध के लिए कोई जगह नहीं। हम सुनिश्चित करेंगे कि कैंपस सुरक्षित और अनुशासित रहे।”– कुलसचिव कार्यालय


