
BHU : मनमानेपन की हद हो गई, नही रूक रहा छात्रों को आंदोलन
तीन छात्रों ने खुद के चैनल गेट में बंद कर जताया विरोध




परीक्षा नियंता और विभागीय गड़बड़ियों के चक्कर में परेशान हैं छात्र
सवाल यह कि पढ़े या करें आंदोलन, क्योंकि कोई सुननेवाला ही नहीं
वाराणसी, भदैनी मिरर। इस वर्ष बीएचयू में पीएचडी प्रवेश में अनियमिताओं का मामला शांत होता नजर नहीं आ रहा है। बीएचयू प्रशासन की मनमानी और उदासीनता का शिकार यहां के छात्र बन रहे हैं। यहां के उच्चाधिकारियों की करतूत के खिलाफ यहां के छात्रों को आंदोलन करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति पिछले चार साल से पहले कभी नही रही। ऐसा ही एक मामला दर्शन एवं धर्म संकाय विभाग से भी आया, जहां तीन छात्र विभाग और परीक्षा नियंता पर आरोप लगते हुए विभाग के मुख्य द्वार को बंद कर के धरने पर बैठ गए थे। लेकिन विभागाध्यक्ष के स्वास्थ्य ख़राब होने की आशंका से धरना खत्म कर दिए। लेकिन इनका मसला खत्म नही हुआ।


मामला यह है कि इन तीन छात्रों का प्रवेश दर्शन एवं धर्म संकाय विभाग द्वारा संचालित भारतीय दर्शन एवं धर्म (आईपीआर) डिसिप्लिन की सीट के सापेक्ष महाविद्यालय में किया जा रहा था। जबकि महाविद्यालयों में आईपीआर संचालित ही नहीं होता। जो University Grants Commission Minimum Standards and Procedure for Award of Ph-D- Degree Regulations 2022 के अनुसार भी अमान्य है। शरू में विभाग कह रहा था कि परीक्षा नियंता की त्रुटि की वजह से आईपीआर की 8 सीट महाविद्यालयों में विज्ञापित हुई है। परीक्षा नियंता का विभाग का आरोप है कि गलत विज्ञापित सीट की जानकारी प्रवेश के पहले क्यों नहीं दिया गया। यह मामला जब कार्यवाहक वीसी प्रो. संजय कुमार के पास गया तो आईपीआर सीट के सापेक्ष प्रवेश प्राप्त तीनों छात्रों को दर्शन एवं धर्म विभाग (मुख्य परिसर) में स्थानांतरित करने के आदेश के अनुसार सहायक कुलसचिव शिक्षण से 21 मई को आदेश दर्शन एवं धर्म विभाग को जाता है।


परन्तु विभाग कुलपति के आदेश के अनुपालन को यह कहते हुए मना कर दिया कि यह आदेश अस्पष्ट और अपर्याप्त है। इसे पुनः स्पष्टीकरण के लिए परीक्षा नियंता को 23 मई को भेज दिया गया। छात्र आरोप लगा रहे हैं कि अभी तक परीक्षा नियंता ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। विभाग और बी.एच.यू. प्रशासन के बीच तीनों छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। जबकि कुलपति के आदेश के बाद विभाग के डीआरसी मेम्बर की शक्तियों के अंतर्गत ही शोध निर्देशक का आवंटन आता है। छात्रों के अनुसार आज बुधवार से केंद्रीय कार्यालय के सामने अनिश्चित काल तक धरने पर बैठे हैं।

उनका कहना है कि प्रशासनिक और विभागीय गड़बड़ियों, अनियमितताओं का शिकार छात्रों को क्यों बनाया जा रहा है। जो लोग इन गड़बड़ियों के खुद जिम्मेदार हैं वह छात्रों को परेशान कर रहे हैं। क्या यहीं है महामना के आदर्शों वाला परिसर। ऐसे अधिकारियों को शर्म आनी चाहिए। गौरतलब है कि इससे पहले भी कभी सामूहिक दुष्कर्म, छेड़खानी, पीएचडी प्रवेश में अनियमितताओं समेत कई मसलों पर छात्रों को आंदोलन करना पड़ा। प्रबल विरोध के आगे यहां का प्रशासन कई बार झुका, लेकिन हेकड़ी जारी है। इसी का नतीजा है कि छात्र पढ़ाई छोड़ अपने हक के लिए आंदोलन को विवश हैं। सवाल यह उठता है कि क्या विवि. प्रशासन जानबूझकर ऐसे आंदोलनों को हवा दे रहा या उसकी कार्यक्षमता में कमी आ गई है। इसे वह सुधारने के वजाय छात्रों पर दोषारोपण कर रहा है।

