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बनारस स्टेशन का कोड 1 दिसंबर से बदल जाएगा, BSBS की जगह अब होगा यह, पढ़ लें खबर नहीं तो हो जायेंगे कन्फ्यूज 

पूर्वोत्तर रेलवे का अहम निर्णय-नया कोड BNRS देशभर में लागू, पुराने कोड से टिकट बुकिंग नहीं होगी मान्य

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Banaras railway Station.jpg
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वाराणसी। पूर्वोत्तर रेलवे ने बनारस से ट्रेन यात्रा करने वाले लाखों यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना जारी की है। वाराणसी मंडल के अंतर्गत आने वाले बनारस रेलवे स्टेशन का अल्फ़ाबेटिकल कोड BSBS बदलकर अब BNRS कर दिया गया है। रेलवे के अनुसार नया कोड 1 दिसंबर 2025 से पूरे देश में लागू हो जाएगा।

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रेलवे ने स्पष्ट किया है कि कोड परिवर्तन के बाद आईआरसीटीसी वेबसाइट, नेशनल ट्रेन इंक्वायरी सिस्टम (NTES) और यात्री आरक्षण केंद्रों पर टिकट बुकिंग के समय अब यात्रियों को नया कोड BNRS ही दर्ज करना होगा। नया कोड सक्रिय होते ही पुराने कोड BSBS का उपयोग टिकट बुकिंग के लिए मान्य नहीं रहेगा।

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नाम परिवर्तन की पृष्ठभूमि

बनारस स्टेशन के नाम और पहचान बदलने की प्रक्रिया कई वर्षों से जारी है। 15 जुलाई 2021 को मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम औपचारिक रूप से बनारस कर दिया गया था।
इसके बाद स्टेशन परिसर में लगे नए नामपटों पर हिंदी, अंग्रेज़ी, उर्दू के साथ संस्कृत में ‘बनारसः’ भी अंकित किया गया-जो काशी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक है।

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एयरपोर्ट जैसा रूप—विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस स्टेशन

नव-निर्मित बनारस रेलवे स्टेशन अपनी भव्यता, डिजाइन और आधुनिक सुविधाओं की वजह से अब एयरपोर्ट जैसा नजर आता है।

यात्रियों के लिए बनाई गई प्रमुख सुविधाएँ—

  • विशाल और आधुनिक प्रतीक्षालय
  • विभिन्न श्रेणियों के प्रतीक्षालय व उच्च-श्रेणी विश्रामालय
  • एस्केलेटर, लिफ्ट व सुगम मार्ग
  • फूड प्लाज़ा, कैफेटेरिया, फूड कोर्ट
  • वीआईपी लाउंज
  • विस्तृत पार्किंग ज़ोन
  • आधुनिक बुकिंग व आरक्षण कार्यालय
  • स्वच्छ, सुरक्षित और हरा-भरा सर्कुलेटिंग एरिया

रेलवे का दावा है कि नया स्टेशन परिसर यात्रियों को एक प्रीमियम ट्रैवल अनुभव प्रदान करता है।


कोड परिवर्तन से यात्रियों को क्या करना होगा?

  • 1 दिसंबर से टिकट बुकिंग के लिए BSBS की जगह BNRS ही दर्ज करें।
  • पुराने कोड से टिकट बुकिंग संभव नहीं होगी।
  • यात्रा योजना बनाते समय IRCTC व NTES पर नया कोड अपडेट चेक करें।

रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि यात्रियों को किसी असुविधा से बचाने के लिए स्टेशन और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लगातार जानकारी प्रसारित की जा रही है।
 

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