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अवैध टेलीफोन एक्सचेंज से राष्ट्र की सुरक्षा में सेंध: अशरफ अपने घर से कर रहा था संचालित, UP-ATS ने किया अरेस्ट

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अवैध टेलीफोन एक्सचेंज से राष्ट्र की सुरक्षा में सेंध: अशरफ अपने घर से कर रहा था संचालित, UP-ATS ने किया अरेस्ट
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वाराणसी, भदैनी मिरर। UP-ATS ने जौनपुर जनपद के बक्शा थाना क्षेत्र के ग्राम दुल्लीपुर से एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर घर से अवैध टेलीफोन एक्सचेंज संचालित कर राष्ट्र की सुरक्षा में सेंध और राजस्व की क्षति करने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है. एटीएस उत्तर प्रदेश को कई दिनों से जौनपुर क्षेत्र में इंटरनेशनल गेटवे को बाईपास कर विदेशों (प्रमुखतः मिडिल इस्ट के देशों) से आने वाली अंतर्राष्ट्रीय कॉल्स को अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के माध्यम से लोकल कॉल्स में परिवर्तित करने की सूचना प्राप्त हो रही थी. जिसके बाद UP-ATS ने यह कार्रवाई की.
बता दें, इंटरनेशनल गेटवे को बाईपास करने के कारण कॉलर की पहचान करना सम्भव नहीं होता, जिससे रेडिक्लाइजेशन, हवाला, टेरर फंडिग सम्बन्धी बातों की सम्भावनाएं बनी रहती है और साथ ही राजस्व की क्षति भी होती है.

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कपड़े की फेरी लगाया था आरोपी

गिरफ्तार आरोपी अशरफ अली ने पूछताछ में बताया कि वह वर्ष 1997 से 2012 तक मुंबई में रह कर कपड़े की फेरी लगाता था. जहां उसकी मुलाकात भिवंडी मुंबई निवासी जहांगीर से हुई. जिसने अशरफ को सऊदी अरब में रहने वाले मो. अली के बारे में जानकारी देते हुए बातचीत शुरू कराई. बातचीत के दौरान मो. अली द्वारा अशरफ को सिमबाक्स के धंधे में होने वाले फायदे के बारे में बता कर कहा गया कि अगर वह तैयार हो तो घर बैठे ही पैसे बना सकता है. इसके लिए केवल इंटरनेट और लैपटॉप व और एक कमरा की व्यवस्था करनी होगी.

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कभी खाते तो कभी लोकल आदमी ने दिए पैसे

उसके बाद अशरफ को कोरियर के माध्यम से मो. अली ने सिमबाक्स के सम्बन्धित उपकरण उपलब्ध कराया गया एवं एनीडेस्क साफ्टवेयर के माध्यम से कॉनफिगर किया गया. गिरफ्तार अशरफ ने एटीएस को बताया कि मो. अली ने इस धंधे में होने वाले फायदे को उसके बैंक खातों में भेजा था, कभी-कभी लोकल व्यक्ति के माध्यम से कैश के रूप में भी पैसे भिजवाये थे. इस तरह माह में लगभग एक लाख रूपये का फायदा कमाया था.

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प्री एक्टीवेटेड सिम देने वाले रिटेलर्स रडार पर

अशरफ अली सिम बॉक्स पर इंटरनेट के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय कॉल्स को इंटरनेशनल गेटवे बाईपास कराकर लैंड कराया जाता था, जिससे VoIP (इंटरनेट) कॉल नॉर्मल वायस कॉल्स में परिवर्तित हो जाती है और कॉल प्राप्त करने वाले को कॉल करने वाले व्यक्ति के नम्बर के स्थान पर सिमबॉक्स में लगे सिमकार्ड का नम्बर प्रदर्शित होता है, इससे कॉलर की पहचान नहीं हो पाती है. इस खुलासे के बाद बड़ी संख्या में प्री एक्टीवेटेड सिम देने वाले रिटेलर्स एवं इस गैंग में शामिल अन्य सदस्य भी एटीएस के राडार पर है

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