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दालमंडी चौड़ीकरण परियोजना में तेजी के बीच मुफ़्ती-ए-बनारस ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, बोले- समुदाय विशेष को लक्ष्य कर... 

वाराणसी के ऐतिहासिक दालमंडी क्षेत्र में प्रस्तावित सड़क चौड़ीकरण परियोजना से हजारों परिवारों की आजीविका और धार्मिक स्थलों पर संकट, वैकल्पिक मार्ग सुझाने की अपील।

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वाराणसी, भदैनी मिरर ब्यूरो| उत्तर प्रदेश सरकार की प्रस्तावित दालमंडी चौड़ीकरण परियोजना को लेकर वाराणसी के मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन ने महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और काशी के सांसद नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर गहरी चिंता जताई है। पत्र में उन्होंने बताया कि यह ऐतिहासिक क्षेत्र केवल व्यापारिक केंद्र नहीं, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

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इस परियोजना के तहत लगभग 220 करोड़ रुपये की लागत से एक संकरी सड़क को चौड़ा करने का प्रस्ताव है, जिसके लिए सैकड़ों मकानों, दुकानों और धार्मिक स्थलों को तोड़े जाने की योजना है। मुफ़्ती ने चेताया कि इस परियोजना से सीधे तौर पर करीब 10,000 परिवारों की आजीविका प्रभावित होगी।

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उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि इस क्षेत्र में इस्लाम धर्म से जुड़ी छह पंजीकृत वक्फ मस्जिदें स्थित हैं, जिनका विध्वंस न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेदों का भी उल्लंघन होगा। उन्होंने इस आशंका को भी व्यक्त किया कि यह निर्णय एक विशेष समुदाय को लक्षित करने के उद्देश्य से प्रेरित प्रतीत होता है।

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मुफ़्ती-ए-बनारस ने वैकल्पिक मार्ग सुझाते हुए कहा कि महज 40 मीटर की दूरी पर ऐसे रास्ते मौजूद हैं जिन्हें चौड़ा करके बिना किसी तोड़फोड़ के जनहित में काम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस परियोजना पर अस्थायी स्थगन आदेश (Stay Order) भी दिया है, जिससे परियोजना की कानूनी जटिलताएं भी स्पष्ट होती हैं।

मुफ़्ती अब्दुल बातिन ने राष्ट्रपति से निवेदन किया है कि वे उत्तर प्रदेश सरकार को इस परियोजना को तत्काल प्रभाव से रोकने और कम से कम नुकसान वाले वैकल्पिक रास्तों की योजना बनाने का निर्देश दें।
उन्होंने पत्र में इस बात पर भी बल दिया कि इस ऐतिहासिक क्षेत्र में सामाजिक सौहार्द्र, धार्मिक स्थलों की गरिमा और हजारों लोगों की जीविका को बचाना देशहित में एक संवेदनशील और न्यायसंगत निर्णय होगा।

 

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