अंबेडकर जयंती पर महिलाओं की समानता और सुरक्षा को लेकर समाजिक संगठन का उपवास, दुष्कर्म के बढ़ते मामलों पर उठाए सवाल




वाराणसी। भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर दख़ल संगठन ने वाराणसी के सिगरा क्षेत्र में महिलाओं की समानता, समता और सुरक्षा के मुद्दे पर एक दिवसीय उपवास का आयोजन किया। कार्यक्रम के दौरान महिलाओं के खिलाफ बढ़ते यौन अपराधों पर चिंता व्यक्त करते हुए देशभर में महिलाओं की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए गए।

दख़ल संगठन की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया कि भारत में हर दिन औसतन 86 रेप के मामले दर्ज होते हैं, जो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों पर आधारित है। लेकिन यह संख्या सिर्फ़ उन मामलों की है जो पुलिस थानों में रिपोर्ट हो पाती है। सामाजिक और पारिवारिक दबाव के चलते हजारों मामलों की रिपोर्टिंग तक नहीं हो पाती।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने उज्जैन, कोलकाता और बनारस की ताज़ा घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन मामलों ने कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा के सरकारी दावों की सच्चाई को उजागर कर दिया है। बनारस में एक युवती से 23 लोगों द्वारा गैंगरेप की घटना को लेकर प्रशासनिक विफलता और संगठित अपराध के पुलिस संरक्षण पर भी सवाल उठाए गए।

दख़ल की प्रतिनिधियों ने कहा कि पितृसत्तात्मक सोच आज भी महिलाओं के पहनावे, चाल-चलन और आचरण को निशाना बनाती है, जबकि अपराधियों के खिलाफ समाज और सिस्टम अक्सर चुप्पी साध लेता है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि रेप के दोषियों को सज़ा मिलने के बावजूद उन्हें पैरोल मिल रही है और वे सार्वजनिक रूप से सक्रिय हो रहे हैं।
दख़ल संगठन ने जोर दिया कि यह सिर्फ क़ानूनी नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव की भी लड़ाई है। संगठन ने समाज से अपील की कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए केवल कानूनों पर निर्भर न रहें, बल्कि मानसिकता और सांस्कृतिक मूल्यों में बदलाव लाने के लिए भी प्रयास करें।
अंबेडकर जयंती के मौके पर दख़ल ने बाबा साहेब अंबेडकर के उस विज़न को याद किया जिसमें उन्होंने महिलाओं को संपत्ति और समान अधिकार दिलाने के लिए संविधान में विशेष प्रावधान जोड़े थे।
इस उपवास कार्यक्रम में चित्रा सहस्त्रबुद्धे, डॉ. इन्दु पाण्डेय, नीति, पारमिता, एकता शेखर, सुनील सहस्त्रबुद्धे, अनन्या मीठी, रवि शेखर, शिवांगी, अनामिका, धनंजय, रूमान, ओम शुक्ला समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
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