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BHU के EC सदस्यों पर अजय राय ने केंद्र सरकार को घेरा, पूछा - जिन नेताओं को शामिल किया गया क्या वह शिक्षाविद् है?

बीएचयू को आरएसएस का कार्यालय बनाना चाहती है भाजपा सरकार
 

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Ajay Rai
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वाराणसी, भदैनी मिरर। सदन से सड़क पर सवाल पूछे जाने के बाद केंद्र सरकार ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में एक्जीक्यूटिव काउंसिल (कार्यकारी परिषद) का गठन किया। चार साल बाद ईसी के गठन में शामिल सदस्यों ने नाम पर अब सवाल उठने लगा है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। अब तक के इतिहास में पहली बार ईसी में नेताओं को शामिल करने पर विवाद गरमा गया है। अजय ने कहा कि पहले कुलपति थे तो एक्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) नहीं, अब ईसी है तो स्थाई कुलपति तक नहीं।

आरएसएस का कार्यालय बना रही BJP

अजत राय ने कहा कि बीएचयू के कार्यकारी परिषद की नियुक्ति शैक्षणिक उत्कृष्ट लोगों की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष ,शहर का मेयर, आरएसएस समर्थित एक ही विभाग के दो प्रोफेसर को जगह देना, विश्व विख्यात विश्वविद्यालय को बर्बाद करने और आरएसएस का कार्यालय बनाने जैसा हैं।एक्जीक्यूटिव काउंसिल (कार्यकारी परिषद) विश्वविद्यालय का प्रमुख कार्यकारी निकाय है। और इस परिषद का आरएसएस करण नहीं होने दिया जाएगा।


जिन नेताओं को शामिल किया गया वह शिक्षाविद् है?

अजय राय ने आगे कहा कि कार्यकारी परिषद के गठन में शिक्षाविद ,कुलपति, वैज्ञानिक, शिक्षा जगत के महत्वपूर्ण लोगों जिन्हें पद्म अवॉर्ड या देश के महत्वपूर्ण सम्मान के अलंकृत किया जाता हो उन्हें शामिल किया जाए। परन्तु बीएचयू का आरएसएस करण कर चुकी केंद्र की भाजपा सरकार ने अपने पुराने रवैए को दोहराते हुए फिर से निम्न स्तर का कार्य किया। बीएचयू शोध और अध्ययन का विश्व स्तरीय केंद्र है। ऐसे में भाजपा के जिन तीन नेता जिन्हें कार्य परिषद में शामिल किया गया है क्या वह शिक्षाविद् है? सबसे बड़ा प्रश्न यह है की मोदी सरकार की नीति में शिक्षा का कोई स्थान है ही नहीं क्योंकि लगातार शिक्षा का कुठाराघात केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार प्रश्न खड़ा कर रहा है और महामना की बगिया का लगातार आरएसएस करण किया जा रहा है और स्थिति इतनी भयावह है की बीएचयू शिक्षा का नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ चुका है।

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चारों तरफ अव्यवस्था ,भ्रष्टाचार का अंबार है। बीएचयू जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थान में आज इंसाफ और नैतिकता का गला घोंटा जा रहा है। कार्यपरिषद का राजनीतीकरण करना दुर्भाग्यपूर्ण है हम मांग करते है की तत्काल इस परिषद का राजनीतीकरण बंद हो और योग्य व्यक्तियों को परिषद् का सदस्य बनाया जाए।

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एक्जीक्यूटिव काउंसिल में इनका नाम शामिल

वर्ष 2021 के बाद केंद्र सरकार ने 23 जुलाई को बीएचयू में एक्जीक्यूटिव काउंसिल का गठन किया। चार साल बाद हुए कार्यकारी परिषद के गठन के सम्बन्ध में प्रवीर सक्सेना, अवर सचिव, भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग ने बीएचयू के रजिस्टार को पत्र भेजा है। कार्यकारी परिषद में पूर्व सांसद, चंदौली डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, महापौर (वाराणसी नगर निगम) अशोक तिवारी, शिक्षाविद, समाजसेवी एवं चेयरमैन, आदर्श जनता महाविद्यालय, चुनार, मिर्जापुर दिलीप पटेल, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह, प्रो. ओमप्रकाश भारती (समाजशास्त्र) बीएचयू, प्रो. श्वेता प्रसाद, (समाजशास्त्र) बीएचयू, प्रो. (सेवानिवृत्त) बेचन लाल प्राणी विज्ञान (बीएचयू), और प्रो. (सेवानिवृत्त) उदय प्रताप शाही (रेडियोथेरेपी एवं विकिरण चिकित्सा) बीएचयू का नाम शामिल है।

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