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अधिवक्ता एक्ट में प्रस्तावित संशोधन को लेकर वाराणसी के अधिवक्ताओं ने जताया विरोध, बोले- वापस लें काला कानून

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अधिवक्ता एक्ट में प्रस्तावित संशोधन को लेकर वाराणसी के अधिवक्ताओं ने जताया विरोध, बोले- वापस लें काला कानून
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वाराणसी,भदैनी मिरर। अधिवक्ता एक्ट में प्रस्तावित संशोधन (2025) के खिलाफ अधिवक्ता आंदोलनरत है. मंगलवार को वाराणसी के सेंट्रल और बनारस बार के अधिवक्ताओं ने डीएम पोर्टिको पहुंचकर प्रदर्शन किया. इस दौरान काला कानून वापस लो सहित अधिवक्ता एकता जिन्दाबाद के नारेबाजी की. दोनों बार के अध्यक्षों के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने अपना विरोध जताया, इस दौरान चेताया कि यह बिल पास की जाएगी तो पूरे देश के अधिवक्ता आंदोलन को बाध्य होंगे.

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https://twitter.com/Bhadaini_Mirror/status/1894341752917508150

सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मंगलेश दूबे ने कहा कि भारत सरकार इस काले कानून को तत्काल वापस ले. कहा कि प्रस्तावित संशोधन विधेयक की धारा 4 में अलग-अलग उप धारा डी सरकार द्वारा डाली गई है और यह कहती है कि बार काउंसिल आफ इंडिया अपने फैसले या कानून या कोई निर्देश खुद से नहीं दे सकती है बल्कि अब उसमें केंद्र सरकार द्वारा नामित सदस्य भी रहेंगे इससे बार काउंसिल आफ इंडिया की स्वतंत्रता अब खत्म हो जाएगी. धारा 35 में यह कहा गया है कि अधिवक्ताओं द्वारा जो हड़ताल किया जाता है उस पर पूरी तरह से बैन लगा दिया जाएगा, उसको आसंवैधानिक कर दिया जाएगा.. धारा 35 बी यह कहती है यदि कोई अधिवक्ता या अधिवक्ता संगठन हड़ताल करता है और उससे न्यायालय कार्रवाई प्रभावित होती तो उसको दोषी पाए जाने पर उसकी सदस्यता रद्द कर दिया जाएगा. धारा 24 ए में या कहा गया कि किसी अधिवक्ता के ऊपर 3 साल या उससे अधिक सजा के मामले में अधिकता जेल गया तो उसे भी मिसकंडक्ट मानते हुए उसकी सदस्यता खत्म कर दी जाएगी. इस तरह से यह काला कानून अधिवक्ताओं के हित में नहीं है, इसे तत्काल वापस लिया जाए अन्यथा हम लोग बड़े स्तर पर इसका विरोध करेंगे।

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अधिवक्ता एक्ट में प्रस्तावित संशोधन को लेकर वाराणसी के अधिवक्ताओं ने जताया विरोध, बोले- वापस लें काला कानून
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