
काशी के अभिजीत चक्रवर्ती बने फिजी में भारत के सांस्कृतिक राजदूत, पहले भी दक्षिण कोरिया में कर चुके हैं प्रतिनिधित्व
बीएचयू से कथक नृत्य में स्नातकोत्तर अभिजीत चक्रवर्ती भारतीय संस्कृति और नृत्य को फिजी में दे रहे नई पहचान — युवाओं को सिखा रहे भारतीय परंपरा और कला की बारीकियां।



वाराणसी। काशी की धरती एक बार फिर भारतीय संस्कृति का संदेश विश्व तक पहुंचा रही है। वाराणसी के युवा कलाकार अभिजीत चक्रवर्ती को फिजी की राजधानी सुवा स्थित भारतीय उच्चायोग में भारत के सांस्कृतिक राजदूत-सह-राजनयिक के रूप में नियुक्त किया गया है।
वे आगामी 18 महीनों तक इस दायित्व का निर्वहन करेंगे।


इससे पहले, अभिजीत वर्ष 2021 में दक्षिण कोरिया के सियोल स्थित भारतीय दूतावास में भी इसी पद पर कार्यरत रह चुके हैं, जहां उन्होंने भारतीय नृत्य और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाया था।
अभिजीत चक्रवर्ती का जन्म वाराणसी के एक शिक्षित परिवार में हुआ। उनके पिता वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, जबकि माता लक्ष्मी कुंड स्थित कन्याकुमारी गर्ल्स इंटर कॉलेज में शिक्षिका रहीं।

उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के परफॉर्मिंग आर्ट्स संकाय से कथक नृत्य में स्नातकोत्तर (M.A.) किया है। साथ ही हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन (रवींद्र संगीत) और प्राचीन भारतीय इतिहास व संस्कृति में भी परास्नातक उपाधि प्राप्त की है।
कथक नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा उन्हें विदुषी शिप्रा चक्रवर्ती और धीरा घोष से मिली। आगे चलकर उन्होंने डॉ. रश्मि चक्रवर्ती (बनारस घराना), पं. राम मिश्रा, अर्चना बनर्जी, डॉ. रंजना श्रीवास्तव (लखनऊ घराना), डॉ. विधि नगर और पं. ओम प्रकाश मिश्रा से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया।

उन्हें बीएचयू की प्रो. संगीता पंडित का भी विशेष मार्गदर्शन मिला। वर्तमान में वे पद्मश्री नलिनी और कमलिनी (बनारस घराना), डॉ. उर्मिला शर्मा (लखनऊ घराना) और डॉ. सुमिता शर्मा (जयपुर घराना) से उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
अभिजीत वाराणसी सहित देशभर के प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। वर्तमान में वे फिजी में भारतीय नृत्य और संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ वहां के युवाओं को भारतीय परंपरा और नृत्य की शिक्षा दे रहे हैं।
अभिजीत का कहना है- “भारत की नृत्य शैली पूरे विश्व में थिरके, इसके लिए मेरा जीवन समर्पित है।”

