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वाराणसी के वरुणा नदी में मिली चार आंखों वाली अनोखी मछली, देखने के लिए लगी लोगों की भीड़

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वाराणसी, भदैनी मिरर। भदोही जिले क के बाद अब वाराणसी में भी एक अजीब और दुर्लभ मछली के मिलने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। आमतौर पर अमेज़न जैसी विदेशी नदियों में पाई जाने वाली यह मछली अब उत्तर प्रदेश की नदियों में कैसे पहुंची, यह रहस्य बना हुआ है। हरहुआ ब्लॉक के कोईराजपुर गांव के पास बह रही वरुणा नदी में रविवार को मछुआरों के जाल में एक बेहद अनोखी मछली फंस गई। यह मछली आम मछलियों से बिल्कुल अलग थी- इसका मुंह चूसने जैसा, चेहरा चार आंखों वाला और शरीर पत्थर जैसा कठोर था।

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स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह मछली हाइपोस्टोमस प्लीकोस्टोमस प्रजाति की है, जिसे आम भाषा में अमेज़न सेलफिन कैटफिश या करचामा मछली कहा जाता है। मछली को फिलहाल रिंग रोड फेज-2 के पास स्थित एक ढाबे के सामने पानी की टंकी में सुरक्षित रखा गया है।

पहली बार देखी ऐसी मछली, लोगों की भीड़ उमड़ी

ढाबा संचालक सुरेंद्र यादव ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में कभी इतनी अजीब मछली नहीं देखी। उनके साथ मौजूद मनीष राय, दीनू पाल और भगवान दास भी हैरान थे। जैसे ही यह खबर फैली, आसपास के गांवों से लोग इस जलचरी को देखने उमड़ पड़े। अभी तक वन विभाग या मछली पालन विभाग को कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है।

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अमेज़न की मछली यूपी में कैसे?

नमामि गंगे अभियान से जुड़े दर्शन निषाद का कहना है कि यह मछली संभवतः बाढ़ या जल परिवहन के जरिए यहां तक पहुंची होगी। यह मांसाहारी प्रवृत्ति की होती है और अन्य मछलियों के अंडों को चूसकर खाती है।

भदोही में भी मिली थी चार आंखों वाली मछली

भदोही जिले के डीघ ब्लॉक के धनतुलसी गांव में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया। शुक्रवार को गंगा नदी में मछुआरे कप्तान चौधरी के जाल में यह रहस्यमयी मछली फंसी। मछली के शरीर पर कांटे थे और वह जमीन पर मेंढक की तरह उछल-कूद कर रही थी। खास बात यह थी कि यह मछली पानी के बाहर भी कई घंटों तक जीवित रही।

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औराई रेंज के वन अधिकारी राहुल सिंह कौशिक ने बताया कि यह मछली इस क्षेत्र में नहीं पाई जाती और यह संभवतः कहीं से बहकर यहां आ गई है। इस पर विभाग द्वारा जांच की जा रही है।

इस मछली की संरचना और आहार शैली को देखते हुए विशेषज्ञ इसे स्थानीय जलीय जीवन के लिए संभावित खतरा मान रहे हैं। यह अन्य मछलियों के अंडे खाकर उनकी प्रजनन क्षमता पर असर डाल सकती है।

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