
दशाश्वमेध घाट गंगा आरती में रेहान की पिटाई को लेकर दिया पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन
साझा संस्कृति मंच ने गंगा आरती करानेवाली संस्था पर लगाये गंभीर आरोप, जांच की मांग




तमाम कैमरे लगे हैं, डेढ़ घंटे तक पीटा गया और सीसीटीवी फुटेज नही
पुलिस ने बिना भोजन-पानी के झुलसती गर्मी में की पूछताछ, फिर किया चालान
वाराणसी, भदैनी मिरर। पिछले दिनों दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती के दौरान मुस्लिम युवक रेहान की बेरहमी से पिटाई और उसे संदिग्ध घोषित करने के प्रयास की घटना को लेकर शुक्रवार को साझा संस्कृति मंच के लोग पुलिस कमिश्नर से मिले। इन लोगों ने बनारस के सौहार्द को बनाये रखने की अपील और अनावश्यक हिंदू-मुस्लिम का माहौल बनानेवालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।


धार्मिक पहचान के आधार पर पीटा गया
ज्ञापन में कहा गया कि 28 अप्रैल को दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के दौरान रेहान नामक मुस्लिम किशोर को उसकी धार्मिक पहचान के आधार पर असामाजिक तत्वों ने बेरहमी से मारा-पीटा। घायल अवस्था में उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस मामले में घायल के पिता की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई। लेकिन 30 अप्रैल को पुलिस ने अस्पताल से बिना सहमति के रेहान को थाने बुलाया। झुलसती गर्मी में दिनभर बिना भोजन-पानी के पूछताछ की गई और रात 8.30 बजे तक उत्पीड़न कर धारा 151 में चालान कर पुलिस लाइन भेज दिया गया। बाद में सामाजिक संगठनों के प्रयासों से रेहान को जमानत मिली।


पुलिसकर्मियों, अफसरों ने कहा-तुम्हें वहां जाने की क्या थी जरूरत
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि जांच के दौरान रेहान से पुलिसकर्मियों व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने कहाकि तुम्हे दशाश्वमेध आरती के दौरान घाट पर जाने की क्या जरूरत थी? यह बात रेहान की मदद को पहुंचे लोगों ने भी सुनी। साझा संस्कृति मंच का कहना है कि दशाश्वमेध घाट एक सार्वजनिक स्थान है, जो बनारस की साझी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। वहां विदेशी सैलानी, हर धर्म और जाति के लोग आते हैं। फिर एक स्थानीय मुस्लिम किशोर के वहां जाने पर सवाल क्यों?

पुलिस की भूमिका की भी होनी चाहिए जांच
मंच के लोगों ने कहाकि घटना के वक्त ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। रेहान के अनुसार, उसे 5-7 लोगों ने गंगा सेवा निधि कार्यालय में घसीटकर डेढ़ घंटे तक पीटा। इस संस्था की भूमिका की निष्पक्ष जांच अनिवार्य है। आपराधिक तत्वों द्वारा कानून हाथ में लेना और सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध न होना भी कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। इसके अलावा, पुलिस लाइन में रेहान से पूछताछ के लिए आई टीम के एक सदस्य, जिन्होंने सफ़ेद शर्ट व पंजाबी पगड़ी पहनी हुई थी ने अपना नाम बताने से इनकार किया। उन्होंने ने रेहान से बंद कमरे में पूछताछ के वक़्त अपने परिचय में कहा “वे उनके (मारपीट करने वालों के) ख़ास आदमी हैं। यह बयान पुलिस की भूमिका पर गहरे सवाल खड़े करता है। परेशानी यह भी है की हमलावर अब तक गिरफ्तार नहीं हुए। प्रशासन और राज्य को इस मामले को स्वतः संज्ञान लेकर दोषियों के विरुद्ध धार्मिक घृणा फैलाने, हत्या के प्रयास व सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने जैसे अपराधों में सुसंगत धाराओं में कठोरतम कार्यवाही करनी चाहिए।
बनारस और यहां के घाट सभी के हैं और रहेंगे
हम बनारस के लोग साझी विरासत में जीने और अमन पसन्द लोग है। ऐसी किसी भी घटना के पक्ष में नही है जहां जाति और धर्म के नाम पर किसी को चोट पहुंचाई जाय। बनारस और बनारस के घाट सभी का है और रहेगा। ज्ञापन देनेवालों में मुख्य रूप से जागृति राही, नीता चौबे, सुजाता, रामजनम, अनूप श्रमिक, अबू, मनीष शर्मा, धनंजय, रवि, सतीश सिंह, एडवोकेट प्रेम प्रकाश, जुबैर आदिल, नीति आदि रहीं।

