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वाराणसी में बाबा लाट भैरव की भव्य बारात निकली, माता भैरवी संग संपन्न हुआ दिव्य विवाह | सूतक काल में सांकेतिक आरती से झूमे भक्त

गंगा-जमुनी परंपरा में सजी बारात, हाथी-घोड़े-ऊंट और बैंड-बाजों के साथ उमड़ा भक्तों का जनसैलाब, मंदिर बना दिव्य विवाह मंडप।

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Laat Bhairav
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वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी के न्यायाधीश बाबा लाट भैरव की भव्य बारात रविवार को पूरे वैभव और आस्था के साथ निकली और माता भैरवी संग दिव्य विवाह संपन्न हुआ। सिर पर मौर धारण किए रथ पर सवार बाबा के रजत मुखौटे के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।
सुबह इन्ना माई की गली से बारात की शुरुआत हुई, जिसमें हाथी, घोड़े, ऊंट, शहनाई, बैंड-बाजा, डीजे और डमरू दल के साथ परंपरागत ढंग से शोभायात्रा निकाली गई। विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने नारियल फोड़कर बारात का शुभारंभ किया। बारात संयोजक विक्रम सिंह राठौर और समिति के पदाधिकारी भक्तों से लगातार अपील करते रहे कि सूतक काल को ध्यान में रखते हुए केवल सांकेतिक आरती करें और रथ को न रोकें। श्रद्धालुओं ने भी इस आग्रह को स्वीकार किया और छतों व चौखटों से पुष्पवर्षा कर बाबा का स्वागत किया।
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सुबह 11 बजे तक बारात लाट भैरव कुंड पर पहुंच गई, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच द्वार पूजन सम्पन्न हुआ। इसके बाद सूतक काल प्रारंभ होने से पहले मंदिर का पट 12:45 बजे बंद कर दिया गया। चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद बाबा लाट भैरव और माता भैरवी का विवाह वैदिक रीति से सम्पन्न हुआ। दरबार को भव्य विवाह मंडप की तरह सजाया गया था। दूल्हा बने बाबा लाट भैरव की लाल वस्त्रों में अद्भुत छवि देखते ही बन रही थी।
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अनुमान था कि ग्रहण के कारण श्रद्धालु कम पहुंचेंगे, लेकिन इसके उलट मंदिर में भारी भीड़ उमड़ी। समिति के अध्यक्ष रोहित जायसवाल ने बताया कि भाद्रपद पूर्णिमा पर बाबा लाट भैरव के दर्शन का विशेष महत्व है। काशीखंड के अनुसार इस दिन स्नान, तर्पण और दर्शन-पूजन से भक्त रुद्रपिशाचत्व और प्रेतबाधाओं से मुक्त होते हैं।
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पूरे आयोजन में समिति के पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और स्थानीय श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी पुलिस बल तैनात रहा और सीपी मोहित अग्रवाल स्वयं मॉनिटरिंग करते रहे।
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