Movie prime
Ad

जख्म दिल का दिखाने से क्या फायदा…. सुबह-ए-बनारस के मंच सजी कवियों की महफिल, रचनाओं से श्रोताओ को किया मंत्रमुग्ध

Ad

 
जख्म दिल का दिखाने से क्या फायदा…. सुबह-ए-बनारस के मंच सजी कवियों की महफिल, रचनाओं से श्रोताओ को किया मंत्रमुग्ध
WhatsApp Group Join Now
Ad

Ad

वाराणसी। साहित्य और संस्कृति की गूंज एक बार फिर अस्सी घाट पर सुनाई दी, जहां मंगलवार को सुबह-ए-बनारस के साहित्यिक प्रकल्प 'काव्यार्चन' की 21वीं कड़ी में पारंपरिक कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस मौके पर शहर और आसपास के कई चर्चित कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

Ad
Ad
Ad
जख्म दिल का दिखाने से क्या फायदा…. सुबह-ए-बनारस के मंच सजी कवियों की महफिल, रचनाओं से श्रोताओ को किया मंत्रमुग्ध

कार्यक्रम की अध्यक्षता सुषमा मिश्रा ने की, जिन्होंने मां सरस्वती की वंदना से कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया। उन्होंने अपनी रचना 'हम मूर्ख हैं मां, हमें बुद्धि देना; अज्ञान हैं हम, हमें ज्ञान दे मां' से श्रोताओं को प्रेरित किया।

जख्म दिल का दिखाने से क्या फायदा…. सुबह-ए-बनारस के मंच सजी कवियों की महफिल, रचनाओं से श्रोताओ को किया मंत्रमुग्ध

गाजीपुर के ओजस्वी कवि हेमंत निर्भीक ने अपनी रचना 'जब मौत सर पर हो खड़ी तो भजो महाकाल को, बाधाएं छंट जाएंगी जीत लो भूचाल को' के माध्यम से जोश और उत्साह भर दिया। वहीं, चंदौली के डॉक्टर सुरेश 'अकेला' ने अपने दिल को छूने वाले शब्दों से माहौल को भावुक कर दिया। उन्होंने सुनाया: "हाले दिल को बताने से क्या फायदा, जख्म दिल का दिखाने से क्या फायदा, जो समझता नहीं दिल के जज्बात को, उसको अपना बनाने से क्या फायदा।"

Ad
जख्म दिल का दिखाने से क्या फायदा…. सुबह-ए-बनारस के मंच सजी कवियों की महफिल, रचनाओं से श्रोताओ को किया मंत्रमुग्ध

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं सुषमा मिश्रा ने नए साल की शुभकामनाएं देते हुए अपनी रचना 'नए वर्ष की सबको शुभकामनाएं, मिलें सबको खुशियां मेरी हैं दुआएं' प्रस्तुत की।

कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर नागेश शांडिल्य ने किया। आरंभ में कवियों का सम्मान बालेश्वर तिवारी, राजलक्ष्मी मिश्रा और प्रेम नारायण सिंह ने अंगवस्त्र भेंट कर किया। रचनाकारों का स्वागत अरविंद मिश्रा 'हर्ष' ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन एडवोकेट रुद्रनाथ त्रिपाठी 'पुंज' ने दिया।

Ad
Ad

Ad

FROM AROUND THE WEB