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वाराणसी से 40 शिक्षक-कर्मचारियों की नहीं 16 की गई है नौकरी, पीजी कॉलेज ने अफवाहों का किया खंडन

पीड़ितों ने PM मोदी के संसदीय कार्यालय पहुंचकर लगाई थी न्याय की गुहार

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कॉलेज प्रबंधन ने कहा - व्हाट्सएप से पहले रजिस्टर्ड डॉक से भेजी गई थी नोटिस, कुछ ने लेने से कर दिया था इंकार  

स्थायी नियुक्तियों से पहले की गई थी अस्थायी नियुक्ति; लापरवाही व संख्या अधिक होने पर अन्य कर्मचारी भी हटाए गए

वाराणसी, भदैनी मिरर। वाराणसी से 40 शिक्षक-कर्मचारियों की नौकरी खत्म होने की अफवाह को प्रेसवार्ता कर बुलानाला स्थित अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज के प्रबंधन ने विराम दे दिया। कहा कि से 40  40 नहीं, बल्कि केवल 16 अनानुमोदित शिक्षकों को कार्यमुक्त किया गया है।

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प्रेस वार्ता में प्रबंध समिति के अध्यक्ष दीपक अग्रवाल, प्रबंधक डॉ. मधु अग्रवाल, सीए श्रीनारायण अग्रवाल, वित्त मंत्री गौरव अग्रवाल, अरविंद सिकारिया और प्राचार्य प्रो. मिथिलेश सिंह उपस्थित रहे।
कॉलेज प्रबंधन ने बताया कि यह 16 शिक्षक स्थायी नियुक्ति होने तक अस्थायी रूप से कार्यरत थे और उन्हें प्रबंधकीय निर्णय के तहत कार्यमुक्त किया गया है। इसके अलावा 9 तृतीय श्रेणी कर्मचारी जिन्हें कंप्यूटर ज्ञान की कमी और कार्य में लापरवाही के चलते हटाया गया। 4 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जिन्हें इस श्रेणी में संख्या अधिक होने के कारण कार्यमुक्त किया गया।

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प्रबंधक डॉ. मधु अग्रवाल ने बताया कि सभी कर्मचारियों को रजिस्टर्ड डाक द्वारा सूचना भेजी गई थी, जिसे कई लोगों ने स्वीकार करने से मना कर दिया और पत्र वापस लौट आया।

प्रबंधन ने कहा कि संस्था के नाम पर अफवाहें फैलाना निंदनीय है। वास्तविकता यह है कि कार्यमुक्ति एक नियोजित प्रक्रिया के तहत हुई है, न कि किसी अन्य उद्देश्य से।

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PM मोदी से हस्तक्षेप की मांग

नौकरी से कार्यमुक्त किए गए कर्मचारी बीते शुक्रवार को जवाहरनगर कॉलोनी (गुरुधाम) स्थित पीएम मोदी के संसदीय कार्यालय पहुंचे थे। सौंपे गए ज्ञापन में आरोप लगाया था कि वे 20 से 25 वर्षों से महाविद्यालय में शिक्षण कार्य कर रहे थे, लेकिन हाल के वर्षों में कॉलेज प्रशासन की नीतियों में भारी मनमानी और वित्तीय अनियमितताएं देखी गईं। उन्हें ढाई महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला, जिससे उनके सामने परिवार चलाने और बच्चों की पढ़ाई जैसी मूलभूत जरूरतें पूरी करना मुश्किल हो गया है।

ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया था कि महाविद्यालय की प्रबंध समिति ने दोषारोपण करते हुए उन्हें छात्राओं की घटती संख्या के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया, जबकि वास्तव में प्रवेश संख्या में कमी का कारण प्रशासन की नीतियां और सुविधाओं का व्यावसायिक उपयोग है।

उन्होंने कॉलेज प्रशासन पर बिना टेंडर एजेंसी से कार्य कराने, तिगुनी कीमत पर परीक्षा सामग्री छपवाने और वित्तीय दोहन जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।

प्राचार्य और प्रबंधक की मिलीभगत से कॉलेज के संसाधनों का दुरुपयोग किया जा रहा है, जबकि शिक्षक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। ज्ञापन में अनुरोध किया गया है कि वित्तीय जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए और सेवा से निष्कासित शिक्षकों को पुनः बहाल किया जाए।

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