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उत्तर प्रदेश के 21 पारंपरिक उत्पादों को मिला GI टैग, बनारसी तबला और भरवा मिर्च भी शामिल

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वाराणसी: उत्तर प्रदेश की पारंपरिक कारीगरी और सांस्कृतिक विविधता को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने वाराणसी दौरे के दौरान राज्य के 21 पारंपरिक उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication - GI) टैग प्रमाण पत्र प्रदान किए। इस अवसर ने प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को नई उड़ान दी और ‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP) नीति की सफलता को एक बार फिर रेखांकित किया।

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बनारसी तबला और भरवा मिर्च को मिला GI टैग

वाराणसी की दो अनूठी पहचानें—बनारसी तबला और भरवा मिर्च—अब GI टैग के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुकी हैं। बनारसी तबला अपने खास ध्वनि और निर्माण शैली के लिए संगीत जगत में प्रसिद्ध है, जबकि भरवा मिर्च अपने विशिष्ट स्वाद और पारंपरिक विधि के लिए जानी जाती है।

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काशी बना GI टैग का वैश्विक केंद्र

काशी क्षेत्र अब 32 GI टैग उत्पादों के साथ दुनिया का GI हब बन गया है। पद्मश्री सम्मानित GI विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत के अनुसार, केवल काशी से जुड़े GI उत्पादों से लगभग 20 लाख लोगों को रोजगार और 25,500 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार होता है।

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वाराणसी के अन्य उत्पाद भी शामिल

GI टैग प्राप्त करने वाले अन्य वाराणसी उत्पादों में शहनाई, मेटल कास्टिंग क्राफ्ट, म्यूरल पेंटिंग, लाल पेड़ा, ठंडाई, तिरंगी बर्फी और चिरईगांव का करौंदा शामिल हैं। ये सभी उत्पाद न केवल स्थानीय कारीगरों की पहचान हैं, बल्कि इन्हें वैश्विक बाजार में नई संभावनाएं भी मिलेंगी।

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बरेली, मथुरा, बुंदेलखंड, चित्रकूट और आगरा के उत्पादों को भी मिला सम्मान

GI सूची में बरेली का फर्नीचर, जरी जरदोजी और टेराकोटा, मथुरा की सांझी क्राफ्ट, बुंदेलखंड का काठिया गेहूं, पीलीभीत की बांसुरी, चित्रकूट का वुड क्राफ्ट, आगरा का स्टोन इनले वर्क और जौनपुर की इमरती भी शामिल हैं। ये सभी उत्पाद अब कानूनी सुरक्षा और ब्रांड पहचान के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर दस्तक देने को तैयार हैं।

GI टैग से बढ़ेगा रोजगार और मिलेगा बेहतर मूल्य

GI टैग न केवल उत्पाद की विशिष्टता को प्रमाणित करता है, बल्कि इससे जुड़े कारीगरों और किसानों को बेहतर बाजार मूल्य भी मिलता है। इसके साथ ही नए रोजगार के अवसरों का सृजन भी होता है। योगी सरकार की सतत पहल और ODOP नीति ने उत्तर प्रदेश को GI टैग में अग्रणी राज्य बना दिया है। वर्तमान में राज्य के पास 77 GI टैग उत्पाद हैं, जो पूरे देश में सबसे अधिक हैं।

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