वाराणसी, भदैनी मिरर। इलाज के नाम पर आर्थिक शोषण करने और लापरवाहीपूर्वक इलाज करने से महिला की मौत के बाद शिवाला निवासी पति भानू साहनी ने आशा कार्यकर्ती सहित चार अस्पतालों के चिकित्सकों पर कोर्ट के आदेश पर चेतगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई है. घटना वर्ष 2022 की बताई गई है.
भानू साहनी के मुताबिक उसकी पत्नी सुमन देवी को मासिक की अनियनितता थी. हनुमान घाट निवासी आशा कार्यकर्ती अन्नू भानू के घर पहुंची और उसकी पत्नी से बात की. उसने भरोसा दिया कि अनुराग मातृ सदन चेतगंज में उनकी पत्नी का अच्छा इलाज हो जाएगा. 10 जून 2022 को अन्नू ने सुमन देवी को लेकर अनुराग मातृ सदन मैटरनिटी एण्ड इन्फर्टिलिटी सेन्टर चेतगंज पहुंची और डा. स्वर्णलता सिंह मिलवाया. जहां उसकी पत्नी को भर्ती कर ऑपरेशन किया गया. 14 जून को सुमन को डिस्चार्ज कर दिया गया. जहां इलाज का ₹ 70 हजार रूपये खर्च आया. अगले ही दिन सुमन को उल्टी और खाना न पचने की शिकायत शुरू हो गयी. भानू 17 जून को फिर अनुराग मातृ सदन पहुंचा, सुमन को एक दिन के लिए भर्ती करने के बाद पिशाचमोचन स्थित एलायन्स हास्पिटल डा जावेद इकबाल के यहां रेफर कर दिया गया.
जहाँ डॉक्टर जावेद इकबाल ने सुमन को 20 जून को भर्ती कर लिया. आरोप है कि डाक्टर जावेद इकबाल द्वारा गर्भाशय के आपरेशन की वजह से पस (मवाद) बन जाने की बात कही और उन्होंने भी आपरेशन कर दिया. ऑपरेशन के बाद 1 जुलाई को डॉक्टर ने डिस्चार्ज कर दिया. भानू के मुताबिक यहां उसका लगभग 4 लाख रूपये का खर्च आया. अगले दिन सुमन को फिर उल्टी की शिकायत शुरू हो गई. भानू अपनी पत्नी को लेकर डॉक्टर जावेद के यहां ले गया. चिकित्सक ने सुमन को करीब 20 दिन तक भर्ती किया. इस दौरान उसकी पत्नी की स्थिति गंभीर होने लगी. आरोप है कि डॉक्टर जावेद ने उनकी पत्नी को महाश्वेता हॉस्पिटल, जिला जेल रोड रेफर कर दिया.
भानू अपनी पत्नी को लेकर महाश्वेता हॉस्पिटल गया जहाँ जाँच के बाद आंत में परेशानी की बात कही गई. 4 अगस्त को वहां भी सुमन का आपरेशन किया गया. ऑपरेशन का खर्च 5 लाख रुपये बताया गया. 14 अगस्त को जब भानू की पत्नी के स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वहां से संतोष मल्टीस्पेशलिस्टी हास्पिटल एवं सर्जिकल सेन्टर पड़ाव भेज दिया गया. वहां सुमन 14 अगस्त से 4 सितंबर तक भर्ती रही. डिस्चार्ज होने के दो दिन बाद फिर सुमन की तबीयत ज्यादा खराब होने लगी. आरोप है कि अस्पताल के चिकित्सक और कर्मचारी उससे जबरदस्ती कागज पर हस्ताक्षर करवा लिए. यहां भी भानू ने लगभग 5 लाख रुपए दिए.
यहां से भानू अपनी पत्नी को काशी अस्पताल डीएलडब्लू भिखारीपुर ले गया, जहाँ इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. भानू के अनुसार उसका करीब ₹ 15 लाख रुपये की क्षति हुई और उसकी पत्नी की जान भी चली गई. भानू ने इस मामले में कोर्ट का दरवाजा खटकाया और आईपीसी की धारा 304-A, 420 और 427 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है