
यतीमखाना केस: आजम खां के करीबी पूर्व सीओ आले हसन को कोर्ट से झटका, गवाह री-कॉल की अर्जी खारिज
एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई जारी, अगली तारीख 17 जुलाई तय; कोर्ट ने वीडियो साक्ष्य दाखिल कराने और गवाह पुनः बुलाने की याचिका की खारिज




यूपी,भदैनी मिरर। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खां से जुड़े चर्चित यतीमखाना प्रकरण में उनके नजदीकी रहे रिटायर्ड सीओ आले हसन को कोर्ट से करारा झटका लगा है। एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने आले हसन द्वारा दाखिल वह याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने गवाहों को दोबारा तलब (री-कॉल) करने और वीडियोग्राफी दाखिल कराने की मांग की थी।


अदालत ने कहा कि इस स्तर पर गवाहों को दोबारा बुलाना जरूरी नहीं है, और अब केस की पत्रावली सफाई साक्ष्य (defense evidence) के लिए लगा दी गई है। अगली सुनवाई की तारीख 17 जुलाई तय की गई है।
क्या है पूरा मामला?
मामला सपा शासनकाल का है, जब शहर कोतवाली क्षेत्र स्थित यतीमखाना को जबरन खाली कराए जाने का आरोप लगा था। पीड़ितों ने वर्ष 2019 में जब उत्तर प्रदेश में सरकार बदली, तब शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया। शिकायत में नामजद किए गए लोगों में आजम खां, तत्कालीन सीओ आले हसन, कुछ स्थानीय सपा नेता और पुलिसकर्मी शामिल थे।


शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि आज़म खां के इशारे पर उनके सहयोगियों ने घरों में घुसकर मारपीट, लूटपाट और तोड़फोड़ की, और लोगों को जबरन बेदखल कर दिया। पुलिस ने जांच के बाद आरोप पत्र अदालत में दाखिल कर दिया था।
इस केस की सुनवाई एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में ज्वाइंट ट्रायल के रूप में चल रही है। आरोपी पूर्व सीओ आले हसन ने कोर्ट में अर्जी देकर गवाहों को फिर से बुलाने और एक वीडियो साक्ष्य को प्रस्तुत करने की अनुमति मांगी थी। एडीजीसी सीमा सिंह राणा ने बताया कि अदालत ने इस अर्जी को खारिज कर दिया है और अब मामले की सुनवाई 17 जुलाई को होगी।


