चाचा ने बेची जमीन तो नाराज भतीजे ने उन्हें ही मृत बताकर फर्जीवाड़े में भेजवा दिया जेल
डीएनए जांच के बाद सच्चाई आई सामने तो कोर्ट ने दिया रिहा करने का आदेश
पुलिस ने गलत पहचान के चलते किया था रामकेवल को गिरफ्तार
गोरखपुर। गोरखपुर के खोराबार थाना क्षेत्र के छितौना गांव में जमीन के एक सौदे के बाद भतीजे ने ही अपने चाचा को मृत बताकर उसने फंसा दिया। जालसाजी के केस में जेल भेजे गये चाचा ने सच्चाई बताई तो हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश डीएनए टेस्ट हुआ। जांच में साबित हुआ कि वहीं उसके चाचा है और जिन्हें मृत बताया गया वह जीवित हैं तो अदालत ने गिरफ्तारी और जेल भेजने की कार्रवाई को गैर कानूनी मानते हुए उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद तीन माह बाद बुधवार को उन्हें जेल से रिहा किया गया।



मामला खोराबार क्षेत्र के छितौना गांव का है। दरअसल चाचा रामकेवल ने अपनी जमीन का सौदा किया था। इसको लेकर उनके भतीजे रामकेवल से विवाद हुआ। अब रामसरन ने आरोप लगाया कि उसके चाचा रामकेवल की पहले ही मौत हो चुकी है। किसी फर्जी व्यक्ति ने खुद को रामकेवल बताकर जमीन बेच दी है। इसी आधार पर उसने जमीन के खरीदार, उसकी पत्नी और जमीन बेचने वाले व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस ने भी जांच के दौरान आधार कार्ड समेत कुछ दस्तावेजों में पिता के नाम में अंतर को आधार बनाया और यह मान भी लिया कि जमीन बेचने वाला व्यक्ति असली रामकेवल नहीं है। इस आधार पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दिया। जब मामला अदालत में ट्रायल तक पहुंचा तो रामकेवल अदालत में हाजिर नही हुए। तब न्यायालय ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया। 20 सितंबर को गगहा पुलिस ने रामकेवल को वारंटी के रूप में गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था।

इसके बाद रामकेवल की बहन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया कि प्राथमिकी रामकिशुन के पुत्र रामकेवल के खिलाफ दर्ज की गई थी। जबकि पुलिस ने गलत पहचान के चलते विपत के पुत्र रामकेवल को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें अवैध रूप से जेल में निरुद्ध कर दिया गया। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति संजीव कुमार की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सच्चाई सामने लाने के लिए डीएनए टेस्ट का आदेश दिया। कोर्ट के निर्देश पर फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की टीम ने शिकायतकर्ता रामसरन और आरोपित रामकेवल के डीएनए सैंपल लिये। रिपोर्ट में यह पुष्टि हो गई कि रामकेवल का रामसरन के परिवार से ही रक्त संबंध है। वही उसका चाचा है। इसके बाद अदालत ने माना कि रामकेवल को गलत पहचान के आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था, जो गैरकानूनी है। इसके बाद कोर्ट ने रिहाई का आदेश दिया।

