BHU में दलित छात्र को PhD में प्रवेश न मिलने का मामला संसद तक पहुंचा, चंद्रशेखर आजाद से लेकर रागिनी सोनकर तक ने उठाई आवाज




वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पीएचडी प्रवेश को लेकर दलित छात्र शिवम सोनकर का मामला अब संसद तक गूंजने लगा है। शिवम, जिन्होंने सामान्य श्रेणी में दूसरी रैंक हासिल की थी, को प्रवेश न मिलने पर भेदभाव का आरोप लगाया गया है। 21 मार्च से वह कुलपति आवास के बाहर धरने पर बैठे हैं, जहां वे न्याय की मांग कर रहे हैं।

विश्वविद्यालय प्रशासन पर भेदभाव का आरोप
शिवम सोनकर का आरोप है कि विभाग में तीन सीटें रिक्त होने के बावजूद उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें दलित होने की वजह से नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वे अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।

सांसद चंद्रशेखर आजाद और अन्य नेताओं की दखल
मामले के तूल पकड़ने के बाद नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने छात्र से फोन पर बातचीत की और संसद में इस मुद्दे को उठाया। इसके साथ ही, उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को पत्र भेजकर मामले की निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की मांग की। चंद्रशेखर ने कहा कि BHU में रिक्त सीटों के बावजूद प्रवेश न देना सामाजिक न्याय और पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
सपा के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने इसे अनुसूचित जाति के छात्रों के उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार का उल्लंघन बताया।
वहीं, मछलीशहर की विधायक डॉ. रागिनी ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस प्रकरण में उचित कार्रवाई करने की अपील की है। सपा नेता सत्य प्रकाश सोनकर ने भी विश्वविद्यालय के रोस्टर प्रणाली पर सवाल उठाते हुए अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए अलग श्रेणी निर्धारित करने की मांग की।
मामले की जांच की मांग
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अब विभिन्न राजनीतिक दल और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है। छात्रों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि इस तरह के भेदभाव से शिक्षा में समानता और न्याय के मूल सिद्धांतों को ठेस पहुंचती है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या निर्णय लेता है।

