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दरोगा को ऐसा लगा घूस का चस्का कि दो साल की नौकरी में ही पहुंच गया सलाखों के पीछे, एंटी करप्शन टीम ने दबोचा 

आजमगढ़ एंटी करप्शन टीम ने एसआई अजय सिंह को 20 हजार रूपये रिश्वत लेते किया रंगेहाथ गिरफ्तार

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जमीन विवाद के मुकदमे में नाम हटाने के लिए मांगे थे दो लाख रूपये, एक लाख 60 हजार ले चुका था

हलधरपुर थाना में तैनात दरोगा प्रयागराज जनपद के सहसो का है निवासी 

मऊ भदैनी मिरर। महज दो साल की नौकरी में ही घूसखोरी का ऐसा चस्का लगा कि यूपी के मऊ जिले का दरोगा एंटी करप्शन टीम के हत्थे चढ़ गया। अपराधियों को हवालात भेजने के लिए वर्दी पहननेवाला आज खुद जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में आजमगढ़ की एंटी करप्शन टीम ने शुक्रवार को दरोगा अजय सिंह को 20 हजार रूपये रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ लिया। उसने वादी से मुकदमे से नाम निकालने के लिए दो लाख रूपये की मांग की थी। इससे पहले दरोगा वादी से 1 लाख 60 हजार रुपये ले चुका था। अब 20 हजार रूपये की अगली किस्त लेने पहुंचा तो धर दबोचा गया। पूछताछ के बाद उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया। हलधरपुर थाना में तैनात दरोगा अजय सिंह मुकदमे की विवेचना कर रहा था। दरोगा प्रयागराज जनपद के सहसो का निवासी है। वर्ष 2023 में इसका उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में चयन हुआ और वह हलधरपुर थाना क्षेत्र के हल्का नंबर-4 में तैनात था। भुक्तभोगियों ने बताया कि घूस मांगते समय वह लोगों को बताता था कि ऊपर के अधिकारियों को भी पैसे पहुंचाने पड़ते हैं। 

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घूसखोर दरोगा बिलौझा चौक स्थित एक जमीन विवाद के मुकदमे की विवेचना कर रहा था। इस मुकदमे में 20 लोगों को आरोपित बनाया गया था। दरोगा ने प्रत्येक आरोपित का नाम हटाने के एवज में 10-10 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी। दरोगा अब तक 1 लाख 60 हजार रुपये वसूल चुका था। शुक्रवार को वह उसी प्रकरण में शिकायतकर्ता घृतेश उर्फ बबलू चौहान से 20 हजार रुपये की अगली किश्त लेने पहुंचा था। इसी दौरान एंटी करप्शन टीम ने चाय फल जूस दुकान पर पहले से जाल बिछाकर उसे रंगे हाथ पकड़ लिया। शिकायतकर्ता घृतेश कुमार चौहान ने बताया कि भीमपुरा-रतनपुरा मार्ग पर उनकी भूमि गाटा संख्या 453 है। उसके पीछे गाटा संख्या 457 पर उनके विपक्षी हरिंदर चौहान की भूमि है। हरिंदर चौहान ने अपनी भूमि (गाटा 457) में 21 बटा 24 कराकर आदेश प्राप्त किया। इस आधार पर वहां पत्थर लगाए गए। मौके पर पहुंचे कानूनगो उमाकांत यादव ने पैमाइश के दौरान लगभग 13 इंच अधिक भूमि नाप ली।

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इससे उसे लगा कि मेरी भूमि को 457 या सड़क में मिलाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बाद विपक्षी ने पुराना वीडियो दिखाकर झूठा आरोप लगाया कि मैंने और मेरे साथियों ने रात में दीवार तोड़ी और खंभे उखाड़े। जबकि वह वीडियो दिन का और किसी अन्य स्थान का था। इसी आधार पर विपक्षी ने मेरे विरुद्ध धारा 156(3) के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया। अब इसके बाद दरोगा अजय सिंह, घृतेश चौहान के घर पहुंचा। कहाकि तुम अपराधी व्यक्ति हो और तुम्हारे समेत 20 लोगों पर मुकदमा है। अगर मुकदमे से नाम हटवाना है तो कोर्ट में साक्ष्य दो या फिर पैसा दो। घृतेश ने बातचीत की तो दरोगा ने मुकदमे से नाम हटाने के प्रति व्यक्ति दस हजार रूपये के हिसाब से 2,00,000 रूपये की रिश्वत मांगी।

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फिर दरोगा घृतेश से किस्तों में रूपये लेता रहा। इससे तंग आकर घृतेश चौहान ने एंटी करप्शन विभाग के अधिकारी से शिकायत कर दी। एंटी करप्शन टीम ने उसे पकड़ने की योजना बनाई। इस बार घृतेश ने दरोगा को घूस की शेष घनराशि में से 20 हजार देने की बात कही। योजना के अनुसार एंटी करप्शन टीम के लोग घृतेश के रिश्तेदार बनकर पहुंचे। टीम ने नोटों पर रासायनिक पदार्थ लगा दिया था। फल और जूस की दुकान पर आया। लेकिन घूस की रकम हाथ से पकड़ने में चालाकी दिखाई। पहले तो सारे रूपये हाथ में लिए थे, लेकिन इस बार घृतेश जब रूपये देने लगा तो कहाकि रूपये मेरी बाइक की डिग्गी में रख दो। तब तक टीम ने उसे धर दबोचा। 

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