Movie prime
Ad

UP में भष्टाचार का खेल : कानपुर का कानूनगो आलोक दुबे बन गया 30 करोड़ का मालिक, अफसर सकते में

सहायक महानिरीक्षक निबंधन की जांच में हुआ खुलासा, डीएम ने कानूनगो से बना दिया लेखपाल

Ad

 
Kanpur kanungo
WhatsApp Group Join Now

Ad

डीएम ने किया निलम्बित, दर्ज हुई एफआईआर और होगी विभागीय जांच

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भष्टाचार मुक्त प्रदेश के नारे जितने तेजी से बुलंद किये जा रहे हैं, उससे कहीं अधिक तेजी से इसका बोलबाला बढ़ रहा है। अब कानपुर में विवादित जमीनों की खरीद-फरोख्त और अभिलेखों की हेराफेरी में फंसे कानूनगो आलोक दुबे की जांच में चौकानेवाली जानकारियां मिली। वह 30 करोड़ की संपत्ति का मालिक निकला। सहायक महानिरीक्षक निबंधन के इस खुलासे के बाद डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने उसे डिमोट कर लेखपाल बना दिया है। इसके साथ ही उसकी सेवा पुस्तिका में परिनिन्दा प्रविष्टि दर्ज करने का आदेश दिया है।

Ad
Ad

कहते हैं कि पुलिस में दरोगा और राजस्व विभाग में लेखपाल-कानूनगो का लिखा कोई नहीं काट पाता। उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक कानूनगो ने इसी बात का फायदा उठाया और फर्जीवाड़ा कर 41 संपत्तियां बना ली। देखते ही देखते यह कानूनगो करोड़पति बन बैठा, लेकिन अवैध कमाई की धुन में यह कानूनगो डीएम के शिकंजे में फंस गया. मामले की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पर डीएम कानपुर ने उसे डिमोट कर फिर से लेखपाल बना दिया है। 

Ad

आपको बता दें कि ग्राम कला का पुरवा रामपुर भीमसेन के रहनेवाले शिकायतकर्ता संदीप सिंह ने 2 दिसंबर 2024 को डीएम को प्रार्थना पत्र देकर शिकायत की थी। पत्र में बताया कि सिंहपुर कठार की गाटा 207 व रामपुर भीमसेन की गाटा 895 का वाद कोर्ट में चल रहा है। विक्रेता का नाम खतौनी में दर्ज न होने के बावजूद कानूनगो ने 11 मार्च 2024 को वरासत दर्ज कर उसी दिन बैनामा भी करा लिया। इसके बाद 19 अक्टूबर 2024 को गाटा 207 को एक निजी कंपनी आरएनजी इंफ्रा को बेच दिया। समिति ने इसे पद का दुरुपयोग, मिलीभगत और हित-संघर्ष की श्रेणी में माना। इसके बाद 17 फरवरी 2025 को कानूनगो को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू की थी। इस मामले में 41 जमीनों का जांच में यह खुलासा हुआ।

Ad

कानपुर एडीएम न्यायिक, एसडीएम सदर और एसीपी कोतवाली की कमेटी की जांच में कानूनगो आलोक दुबे को दोषी माना। मामले में छह मार्च को चार आरोपों के खिलाफ आरोपपत्र जारी हुआ। नोटिस-पत्र, जवाब, साक्ष्य-आह्वान और 21 अगस्त को व्यक्तिगत सुनवाई तक इसकी प्रक्रिया चली। इस मामले में संदीप की तहरीर पर थाना कोतवाली में 25 मार्च को कानूनगो और लेखपाल के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ इसके बाद दोनों लोग अरेस्टिंग स्टे ले आए थे। इस मामले में लेखपाल अरुणा द्विवेदी को भी निलंबित किया जा चुका है। तहसीलदार सदर भी उसकी जांच की और उन्हें दोषी पाया। डीएम की ओर से कराई गई जांच के बाद सहायक महानिरीक्षक निबंधन की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है। आलोक के पास 8.62 हेक्टेयर करीब 30 करोड़ की लागत की 41 संपत्तियां मिली हैं। यह संपत्तियां आलोक दुबे, उसकी पत्नी और पुत्रों के अलावा अरुणा द्विवेदी नाम पर हैं। अब डीएम ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए मामले की विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। 

Ad

Ad

FROM AROUND THE WEB