
UP के प्राइवेट स्कूल, कालेजों के टीचरों को पूरी सेलरी के साथ मिलेगा 6 महीने का मेटरनिटी लीव
वाराणसी के सनबीम वीमेंस कॉलेज वरुणा की शिक्षिका संगीता प्रजापति के मामले में राज्य महिला आयोग ने सुनाया फैसला



बच्चे के जन्म के लिए शिक्षिका ने मांगा था मेटरनिटी लीव, कालेज ने नही दिया और नौकरी पर भी वापस नही लौटा
प्रबंधन ने शिक्षिका से कहा था-वह स्ववित्तपोषित निजी संस्थान है और उसपर मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के प्रावधान लागू नहीं होते
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों और कॉलेजों में काम करने वाली टीचरों के लिए अच्छी खबर है। वाराणसी के राष्ट्रीय महिला आयोग (छब्ॅ) ने वाराणसी स्थित सनबीम वीमेंस कॉलेज वरुणा बनाम शिक्षिका संगीता प्रजापति के मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग का बड़ा फैसला आया है। पूरी सैलरी के साथ छह महीने की मेटरनिटी लीव नहीं देने के मामले में सनबीम समूह को राष्ट्रीय महिला आयोग से झटका लगा है। आयोग के आदेश के तहत अब इन टीचरों को भी गर्भावस्था के दौरान बच्चे की देखभाल के लिए 6 महीने की सवेतन (पूरी सैलरी के साथ) छुट्टी मिलेगी। अभी तक उत्तर प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थानों में संभवतः किसी महिला को वेतन युक्त छह महीने का मातृत्व अवकाश नहीं मिला है।



राष्ट्रीय महिला आयोग () ने वाराणसी स्थित सनबीम वीमेंस कॉलेज वरुणा को शिकायतकर्ता संगीता प्रजापति को सात दिनों के अंदर मातृत्व लाभ (डंजमतदपजल स्मंअम) मुहैया कराने का आदेश दिया है। कहा कि मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के अनुसार मातृत्व लाभ प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान पर लागू होता है। क्योंकि यह प्रत्येक महिला का मूला अधिकार है। मातृत्व अवकाश छुट्टी महिला को संतान के जन्म के समय दी जाती है। इसलिए कि वह अपने बच्चे के जन्म के बाद आराम कर सके और बच्चे की देखभाल कर सके और मातृत्व लाभ अधिनियम सभी शिक्षण संस्थानों पर लागू होता है। आयोग की सदस्य एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना मजूमदार ने बुधवार को जारी आदेश में लिखा है कि मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के अनुसार मातृत्व लाभ प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान में लागू होता है। यह प्रत्येक महिला का एक मौलिक अधिकार है। माना जा रहा है कि राज्य का यह पहला मामला है जिसमें किसी आयोग या न्यायालय ने किसी निजी शैक्षणिक संस्था में काम कर रही महिला कर्मचारी को छह महीने का मातृत्व लाभ प्रदान करने का आदेश दिया है।

आपको बता दें कि संगीता प्रजापति सनबीम वुमेन्स कॉलेज वरुणा में 15 दिसम्बर 2021 से पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहीं। पिछले साल 2 अगस्त को उन्होंने बच्चे को जन्म दिया। उन्होंने कालेज को प्रार्थना पत्र देकर उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेशों और यूजीसी रेगुलेशन-2018 समेत मातृत्व लाभ कानून में उल्लिखित प्रावधानों के तहत महाविद्यालय प्रशासन से वेतन युक्त छह महीने का अवकाश की मांग की थी। संगीता के अनुरोध को यह कहकर खारिज कर दिया गया कि वह एक स्ववित्तपोषित निजी संस्थान है। उस पर मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। इसके साथ ही कालेज प्रबंधन ने संगीता को कानूनी प्रावधानों में उल्लिखित छह महीने के मातृत्व अवकाश के बाद नौकरी पर वापस लेने से भी मना कर दिया। अब संगीता प्रजापति ने महाविद्यालय प्रबंधन के आदेश को क्षेत्रीय श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुनील कुमार द्विवेदी और अपर श्रमायुक्त/उप श्रमायुक्त डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंह के समक्ष चुनौती दी।

अधिकारियो। ने माना कि सनबीम वुमेन्स कॉलेज वरुणा पर मातृत्व लाभ कानून के प्रावधान लागू होते हैं। क्षेत्रीय श्रम प्रवर्तन अधिकारी सुनील कुमार द्विवेदी ने गत 7 फरवरी को कॉलेज को संगीता प्रजापति को अवकाश देने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजीव सिंह और प्रशासक डॉ. शालिनी सिंह समेत प्रबंधन तंत्र ने संगीता को न तो छुट्टी दी और न ही नौकरी पर वापस लिया। संगीता ने बताया बताया कि उसने इसकी शिकायत उत्तर प्रदेश शासन के श्रमायुक्त मार्कण्डेय शाही, श्रम मंत्री डॉ. अनिल राजभर, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की कुल-सचिव डॉ. सुनीता पाण्डेय, कुलपति ए.के. त्यागी, क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारी डॉ. ज्ञान प्रकाश वर्मा से भी की । लेकिन महीनों बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। इधर, प्रशासनिक व्यवस्था से निराश संगीता प्रजापति ने 6 अगस्त को राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डॉ. अर्चना मजूमदार से गुहार लगाई। अर्चना मजूमदार की पहल पर आयोग ने 8 अगस्त को उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव महेंद्र प्रसाद अग्रवाल को नोटिस जारी कर कारावाई के निर्देश दिये। दो माह बाद भी किसी कार्रवाई की कोई सूचना नही दी गई। इसके बाद आयोग की सदस्य डॉ. अर्चना मजूमदार ने 7 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की। इस सुनवाई में शिकायतकर्ता संगीता प्रजापति शामिल के अलावा सनबीम वुमेन्स कॉलेज वरुणा की ओर से प्राचार्य डॉ. राजीव सिंह, प्रशासक डॉ. शालिनी सिंह और महाविद्यालय के लीगल हेड एवं अधिवक्ता देवेश त्रिपाठी शामिल हुए।
खुश हूं, लेकिन नौकरी पर वापसी हो
छुट्टी का आदेश आने के बाद संगीता प्रजापति ने कहाकि मैं आयोग की सुनवाई से बहुत खुश हूं। मगा उनकी नौकरी पर वापसी के बारे में कोई सूचना नही है। इसलिए थोड़ी निराशा भी है। आयोग का अंतिम फैसला आना बाकी है इसलिए न्याय की उम्मीद है। आयोग की सदस्य डॉ. अर्चना मजूमदार का आभार जताया। कहाकि यह केवल मेरी लड़ाई नहीं यह उन सभी कामकाजी महिलाओं की लड़ाई है जिन्हें मातृत्व लाभ के उनके मूलाधिकार से वंचित किया जा रहा है।

