
इटावा कथावाचक विवाद पर बोले स्वामी जितेंद्रानंद: जातीय षड्यंत्र की हो गहन जांच, दोषियों को मिले सजा
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने इटावा में कथावाचकों के साथ हुई घटना को बताया जातीय उन्माद फैलाने की साजिश, सीएम योगी से निष्पक्ष जांच की मांग




वाराणसी,भदैनी मिरर। उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के ब्यावर क्षेत्र में कथावाचकों के साथ हुई मारपीट की घटना ने राज्य की राजनीति को गर्मा दिया है। इस प्रकरण पर अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि कथावाचकों के साथ जाति पूछकर मारपीट हुई है, तो यह भारतीय संविधान के तहत एक गंभीर आपराधिक कृत्य है और दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी होनी चाहिए।


स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि इस घटना का दूसरा पहलू भी उतना ही महत्वपूर्ण है। कथावाचकों के रूप में एक नया पेशा उभर रहा है, जिसमें कुछ लोग पहले बौद्ध कथा करते हैं और फिर भागवत कथा कहने लगते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब हिंदू समाज ने रैदास, कबीर और वाल्मीकि जैसे महापुरुषों को स्वीकार किया है, तब किसी यादव या जाटव को अपना नाम और जाति छुपाने की क्या आवश्यकता है?


उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदू समाज में गैर-ब्राह्मण कथावाचकों को पूरी मर्यादा और सम्मान मिला है, और वर्तमान में भी कई गैर-ब्राह्मण संत समाज में प्रतिष्ठित रूप से कार्य कर रहे हैं। फिर भी यदि कोई व्यक्ति मर्यादा का उल्लंघन करता है या जानबूझकर समाज में भ्रम फैलाने का षड्यंत्र करता है, तो उसकी जांच होनी चाहिए।

स्वामी जी ने यह भी कहा कि यह मामला केवल धार्मिक नहीं बल्कि संभावित राजनीतिक षड्यंत्र की ओर भी इशारा करता है। उन्होंने याद दिलाया कि कौशांबी में ब्राह्मण बनाम पाल संघर्ष में भी समाजवादी पार्टी दोनों पक्षों में सक्रिय थी, और अब इस घटना में भी उसी पार्टी की अचानक सक्रियता, कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के ट्वीट्स के साथ, आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र यूपी में जातीय आग भड़काने की साजिश की आशंका को जन्म देती है।
मुख्यमंत्री से की कार्रवाई की मांग
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और गंभीर जांच कराई जाए और दोषी चाहे किसी भी जाति, वर्ग या पार्टी से हो, उसे बख्शा न जाए।

