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यूपी के कुशीनगर में पकड़ा गया संदिग्ध पाकिस्तानी नागरिक, दस सालों से रह रहा था सेराजुल हक

तीन मददगार भी चढ़े पुलिस के हत्थे, सेराजुल ने शादी भी कर ली, 3 बच्चे हो गये और ले रहा था सरकारी सुविधाओं का लाभ

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फर्जी दस्तावेज बनवा कर बना ली थी भारतीय नागरिक की पहचान

 कुशीनगर, भदैनी मिरर। यूपी के कुशीनगर में पुलिस और खुफिया इकाई (एलआईयू) की संयुक्त कार्रवाई में एक पाकिस्तानी नागरिक को गिरफ्तार किया है। यह पिछले 10 साल से फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर भारत में रह रहा था और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहा था। इसकी पहचान सेराजुल हक के रूप में हुई है। वह एलटीवी (लॉन्ग टर्म वीजा) पर भारत आया था और कुशीनगर के थाना पटहेरवा क्षेत्र के गगलवा चैनपट्टी गांव में रह रहा था। पुलिस की जांच में पता चला कि सेराजुल ने फर्जी तरीके से आधार कार्ड, पैन कार्ड, आयुष्मान कार्ड और निर्वाचन पहचान पत्र तक बनवा लिया था। इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर वह आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज और राशन कार्ड के माध्यम से खाद्यान्न जैसी योजनाओं का लाभ उठा रहा था। यही नही उसने स्थानीय लोगों की मदद से भारतीय नागरिक की तरह पहचान बना ली थी। इसके साथ ही उसकी मदद करनेवाले चांद अख्तर कुचिया पिपरा थाना पटहेरवा, सीएचसी संचालक दुधही निवासी शब्बीर आजम झगहा के शेख सूबेदार को भी गिरफ्तार कर लिया है। 

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इस मामले में पुलिस ने सेराजुल हक की मदद करने के आरोप में दो अन्य व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया है। इनमे चांद अख्तर और शब्बीर आजम है। यह दोनों सीएचसी का संचालक है। इन्होंने ही फर्जी आधार कार्ड बनवाने में उसकी मदद की थी। इन तीनों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। इनके खिलाफ धारा 17 नागरिकता अधिनियम, 318(2)/336(3)/338/340(2)/3(5) बीएनएस व 14ए विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जानकारी के अनुसार सेराजुल हक कुशीनगर में 1957 को अपनी मां कुलसुम खातून के साथ उनके पासपोर्ट संख्या 586949 व वीजा के आधार पर तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से राधिका नगर चेक पोस्ट के रास्ते भारत आया था।

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इसके बाद से ग्राम गगलवा चैनपट्टी थाना पटहेरवा कुशीनगर में दीर्घकालीन वीजा वृद्धि पर निवास कर रहा है। सेराजुल हक की मां कुलसुम खातून की 1989 में मौत हो गयी। उनका पासपोर्ट खत्म हो चुका है। भारत में रहते हुए सेराजुल हक ने सोगरा नाम की महिला से शादी कर ली और यहीं रहने लगा। सिराजुल को एक बेटी और दो बेटे हैं। सेराजुल एलटीडी वीजा पर रहते हुए 10 साल से पहले कुशीनगर के पटहेरवा थाना क्षेत्र में भारत का दस्तावेज बनवाने लगा। सिराजुल यहां पर ट्रैक्टर और छोटी गाड़ियों की ड्राइविंग करके अपना जीवन यापन करता रहा। उसकी वीजा की समय अवधि एक साल थी, इसलिए वह हर साल उसे रिनुअल करवाता रहा। लेकिन 2023 के बाद उसका वीजा रिनुअल भी नहीं हुआ। सेराजुल द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेख के आधार पर कुछ महीने पहले बने भारत-पाकिस्तान के युद्ध जैसे हालातों के बाद यहां रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने की कवायद शुरू हुई। जांच में सेराजुल का नाम पुलिस की खुफिया टीम एलआईयू के संज्ञान में आया। सेराजुल हक को एलटीवी वीजा से सम्बन्धित नये पोर्टल पर आवेदन करने हेतु नोटिस का तामीला स्थानीय अभिसूचना इकाई द्वारा कराया गया।

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आवेदक को यह भी बताया गया कि एलटीवी आवेदन फार्म शपथ पत्र अन्य कागजात जो आवेदन करते समय लगाया गया है, उसको एलआईआयू कार्यालय में जमा कर दे। ताकि वीजा वृद्धि से संबंधित कार्रवाई कर जांच आख्या अभिसूचना मुख्यालय भेजा जा सके। लेकिन वह दे नहीं पाया। इसके बाद जांच में पाया गया कि सेराजुल हक द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेख से पाक नागरिक है। भारत में एलटीवी वीजा वृद्धि पर निवास कर रहा है। फिर भी जान कर गलत तरीके से भारतीय पहचान पत्र आधार कार्ड पैन कार्ड को बनवा लिया है। गोपनीय सूचना के आधार पर कुशीनगर की एलआईयू और पटहेरवा थाना पुलिस टीम ने कार्रवाई करते हुए इसका खुलासा किया। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि सेराजुल हक भारत में पिछले दस सालों से चोरी-छुपे कैसे रह रहा था। किन-किन स्तरों पर उसे सहायता मिली। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं। मामले की जांच की जा रही है।
 

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