UP में बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, 5 याचिकाकर्ताओं को देने होंगे 10-10 लाख रुपए
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने फैसले का किया स्वागत




दिल्ली,भदैनी मिरर। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सहित देश भर के बुलडोजर एक्शन (Bulldozer Action) पर सख्य रुख अख्तियार कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाई है. इसके साथ ही वर्ष 2021 में किए गए बुलडोजर एक्शन को असंवैधानिक (unconstitutional) करार दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 6 सप्ताह के भीतर 5 याचिकाकर्ताओं (Petitioners) को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है.

जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मुआवजा इसलिए भी जरुरी है कि सरकारें बिना उचित प्रक्रिया अपनाएं किसी के मकान जमींदोज करने से बचे. कोर्ट ने कहा कि यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है और राइट टू शेल्टर नाम की भी कोई चीज होती है. इस सिलसिले में अदालत ने कहा कि नोटिस और अन्य समुचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है, जिसका पालन नहीं किया गया.

अतीक अहमद से जोड़ते हुए हुई थी कार्रवाई
याचिकाकर्ता वकील जुल्फिकार हैदर और प्रोफेसर अली अहमद समेत कुल 5 लोगों के मकान 7 मार्च 2021 को बुलडोज कर दिया गया था. जिस संबंध में उन्हें 6 मार्च को नोटिस मिली थी. जिसके बाद पहले हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई, वहां से खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट रुख किये. कोर्ट को याचिकाकर्ता ने बताया कि जिस जमीन पर उनके घर बने थे, उन्हें माफिया और राजनेता अतीक अहमद से जोड़ते हुए प्रशासन ने कार्रवाई की. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के इस बयान को रिकॉर्ड पर लिया था कि वह भूमि नजूल लैंड थी. उसे सार्वजनिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाना था. साल 1906 से जारी लीज 1996 में खत्म हो चुका था. याचिकाकर्ताओं ने लीज होल्ड को फ्री-होल्ड करने का आवेदन दिया था. उन आवेदनों को 2015 और 2019 में खारिज किया जा चुका है. ऐसे में बुलडोजर कार्रवाई के जरिए अवैध कब्जे को हटाया गया था.

जमीन के अधिकार पर नहीं की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार को भी फटकारा. इलाहबाद विकास प्राधिकरण की ओर से बताया कि लीज होल्ड को फ्री हैण्ड करने के आवेदन खारिज होने का जिक्र करते हुए कहा कि उसके बाद याचिकाकर्ताओं को नोटिस भेजी गई. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया कि प्राधिकरण ने यह जानने की कोशिश नहीं कि वह नोटिस उन लोगों तक पहुंचे. कोर्ट ने साफ़ किया कि उनकी टिप्पणी जमीन के अधिकार को लेकर नहीं है. वह अपीलीय प्राधिकरण के सामने जा सकते है. यह आदेश सिर्फ इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि मकानों को गिराने का तरीका अवैध था. जजों ने बुलडोजर एक्शन पर पिछले साल आए सुप्रीम कोर्ट की दूसरी बेंच के फैसले का हवाला दिया. उस फैसले में कहा गया था कि लोगों को पर्याप्त समय और कानूनी बचाव का मौका देने के बाद ही विध्वंस की कार्रवाई हो सकती है.
आदेश का स्वागत
सुप्रीम कोर्ट के आये आदेश का सपा मुखिया अखिलेश यादव ने स्वागत किया. उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा कि- सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश स्वागत योग्य है. सच तो ये है कि घर केवल पैसे से नहीं बनता है और न ही उसके टूटने का ज़ख़्म सिर्फ़ पैसों से भरा जा सकता है. परिवारवालों के लिए तो घर एक भावना का नाम है और उसके टूटने पर जो भावनाएं हत होती हैं उनका न तो कोई मुआवज़ा दे सकता है न ही कोई पूरी तरह पूर्ति कर सकता है.

