सोनभद्र खदान हादसा: पूरी रात चला रेस्क्यू ऑपरेशन, 15 मजदूर अब भी दबे; एक शव बरामद
ओबरा के बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में पहाड़ का बड़ा हिस्सा ढहा, एनडीआरएफ-एसडीआरएफ जुटी; सीएम योगी के निर्देश पर अधिकारी मौके पर, मजिस्ट्रियल जांच के आदेश

सोनभद्र। ओबरा के बिल्ली–मारकुंडी खनन क्षेत्र में शनिवार शाम हुए भीषण हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन पूरी रात जारी रहा। सुबह तक भी 15 मजदूर मलबे में दबे बताए जा रहे हैं। खदान में पानी भरे होने और रास्ता अवरुद्ध रहने के कारण राहत अभियान बाधित हो रहा है। मलबे तक पहुंचने के लिए पत्थर और गिट्टी डालकर अस्थायी रास्ता बनाया जा रहा है।



हादसे के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने तत्काल राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए, जिसके बाद प्रदेश के आला अधिकारियों का घटनास्थल पर पहुंचना जारी है। एडीजी जोन पीयूष मोर्डिया, मंडलायुक्त राजेश प्रकाश, आईजी मिर्जापुर आरपी सिंह, डीएम बीएन सिंह और एसपी अभिषेक वर्मा मौके पर मौजूद हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं।

एक शव बरामद, तीन की मौत की चर्चा; डीएम ने दो मौत की पुष्टि की
रविवार भोर करीब 4 बजे मलबे से पहला शव निकाला गया, जिसकी पहचान राजू सिंह पुत्र त्रिवेणी सिंह निवासी सोनभद्र के रूप में हुई। स्थानीय ग्रामीणों और मजदूरों ने तीन मजदूरों की मौत होने का दावा किया है, जबकि डीएम ने दो मजदूरों की मौत की पुष्टि की है।
दुर्घटना की सूचना पर खनन क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। सभी रास्तों को पुलिस ने बंद कर दिया है और किसी भी बाहरी व्यक्ति को अंदर जाने की अनुमति नहीं है।

कैसे हुआ हादसा?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, खदान में कृष्णा माइनिंग स्टोन के अंतर्गत नौ कंप्रेशर पर मजदूर काम कर रहे थे। ड्रिलिंग के दौरान अचानक 150 फीट से अधिक ऊँचाई से पहाड़ का एक विशाल हिस्सा धंसकर नीचे आ गिरा और कई मजदूर उसमें दब गए। दो मजदूर समय रहते भाग निकले, जिससे उनकी जान बच गई।
हादसे की सूचना मिलते ही समाज कल्याण राज्यमंत्री संजीव गोंड, अधिकारी और पुलिस टीमें मौके पर पहुंच गईं।
रातभर चला रेस्क्यू ऑपरेशन
अंधेरा होने के कारण रेस्क्यू में दिक्कत आ रही थी, इसलिए मौके पर लाइटें लगाई गईं। भारी-भरकम मशीनों के जरिए मलबा हटाने का कार्य देर रात 8:15 बजे शुरू हुआ। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और फायर ब्रिगेड की टीमें संयुक्त रूप से अभियान चला रही हैं।
मलबे में दबे दो मजदूरों- संतोष और इंद्रजीत के भाई छोटू यादव ने बताया कि वह मामूली रूप से बच गया, लेकिन उसके दोनों भाई अब भी अंदर दबे हैं।
मजिस्ट्रियल जांच के आदेश
डीएम बीएन सिंह ने हादसे की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच की जिम्मेदारी अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) वागीश सिंह को सौंपी गई है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों की ओर से खदान मालिक और उसके पार्टनर के खिलाफ तहरीर दी गई है। ग्रामीण छोटू यादव ने हादसे के लिए खदान प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।


