
बकरीद पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान, बोले- सरकार की सह पर ही पशु हत्या और...




देशभर में शनिवार को ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में त्योहार को शांतिपूर्ण ढंग से मनाने के लिए प्रशासन सतर्क रहा। इसी बीच ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने धर्म के नाम पर की जाने वाली पशु बलि पर गहरी आपत्ति जताई है।


धार्मिक कारणों से पशुहत्या उचित नहीं- शंकराचार्य
शंकराचार्य ने कहा कि त्योहार मनाने के नाम पर किसी भी जीव की हत्या धार्मिक रूप से उचित नहीं ठहराई जा सकती। उन्होंने सवाल उठाया कि मुसलमानों को पशु बलि की अनुमति किस आधार पर दी जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मुस्लिम समुदाय का नाम आते ही निष्क्रिय हो जाती है और इस विषय में कोई कड़ा कदम नहीं उठाया जाता।


उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की मौन सहमति से ही देश में गौहत्या जैसी घटनाएं हो रही हैं और अब समय आ गया है कि हिंदू समाज को सोच-समझकर अपने प्रतिनिधियों का चयन करना चाहिए। शंकराचार्य ने आरोप लगाया कि वर्तमान में कोई भी राजनीतिक दल हिंदुओं के हितों की बात नहीं कर रहा।

बलिदान का अर्थ बाजार से खरीदा गया बकरा नहीं
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बलिदान की अवधारणा पर सवाल उठाते हुए कहा कि धर्म में बलि का अर्थ सबसे प्रिय वस्तु को समर्पित करना है, न कि बाजार से लाकर किसी निर्दोष प्राणी को काट देना। उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक आस्था के नाम पर की जा रही हिंसा को समाज में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
गौरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई पर भी जताई नाराजगी
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि देश में गौहत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, वहीं गौ रक्षा करने वालों पर कानूनी शिकंजा कस रहा है। उन्होंने गौ प्रतिष्ठा को बचाने के लिए आंदोलन चलाने की घोषणा की।
ऑपरेशन सिंदूर पर भी जताई नाराजगी
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने हाल ही में सरकार द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शुरुआत में उन्हें उम्मीद थी कि यह अभियान राष्ट्रीय हित में कारगर होगा, लेकिन अब इस पूरे प्रकरण को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कुछ आतंकवादी भारत में घुसकर लोगों की जान ले जाते हैं और हमारी सरकार उन्हें रोक नहीं पाती — यह चिंता का विषय है।
"हमने ऐसा भारत पहले नहीं देखा"
शंकराचार्य ने भावुक होते हुए कहा कि देश की मौजूदा स्थिति बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा, “माँ का दूध लजा रहा है। हमने ऐसा भारत कभी नहीं देखा, जैसा आज बना दिया गया है। इस बयान के बाद धार्मिक और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। एक ओर जहाँ शंकराचार्य का बयान धार्मिक परिप्रेक्ष्य से कई सवाल खड़े करता है, वहीं इससे सामाजिक सौहार्द पर असर पड़ने की भी आशंका जताई जा रही है।

