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डॉक्टर पर गंभीर आरोप: लकवाग्रस्त मरीज की मौत के मामले में मुकदमा दर्ज करने का आदेश, फर्जी दस्तावेज और सरकारी धन गबन का भी आरोप

सीजेएम बलिया ने जारी किया आदेश, गौरव मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और चिकित्सक पर लगे लापरवाही, धोखाधड़ी और रेफरल दस्तावेज फर्जी करने के आरोप
 

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बलिया। चिकित्सीय लापरवाही, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और सरकारी धन के गबन जैसे गंभीर आरोपों वाले मामले में सीजेएम बलिया शैलेश पांडे की अदालत ने बड़ा आदेश जारी किया है। कोर्ट ने गौरव मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, बलिया एवं संबंधित चिकित्सक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर तीन दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
यह आदेश आवेदक कन्हैया मिश्रा की ओर से दायर बीएनएनएस की धारा 173(4) के अंतर्गत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद दिया गया।

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मरीज को बुखार-घुटना दर्द

आवेदक के अनुसार, 14 सितंबर 2024 को उनकी मां को करीब एक सप्ताह से बुखार और घुटने में दर्द था। वह उन्हें ECHS Polyclinic, बलिया लेकर पहुंचे, जहां प्राथमिक जांच के बाद विशेषज्ञ के पास रेफरल जारी किया गया।
उसी दिन सुबह 10:37 AM पर वह उन्हें रेफरल के आधार पर गौरव हॉस्पिटल लेकर पहुंचे।

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डॉक्टर डी. राय (ददन राय) ने जांच के बाद बताया कि मरीज का ब्लड प्रेशर बहुत अधिक, ब्लड शुगर लेवल गंभीर और हेपेटाइटिस है। उन्हें तत्काल भर्ती कर लिया गया।


इलाज के दौरान तबीयत लगातार बिगड़ती गई

आवेदक का कहना है कि एक सप्ताह इलाज के बाद जब मरीज के हाथ काम नहीं कर रहे थे और वह फोन तक नहीं उठा पा रही थीं, तो डॉक्टर ने इसे कमजोरी बताकर नज़रअंदाज किया।
जब इलाज के पर्चे व दस्तावेज मांगे गए तो अस्पताल कर्मियों ने उन्हें जान से मारने की धमकी तक दी।

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मरीज की हालत बिगड़ने पर परिजनों ने उन्हें बेहोशी की हालत में **बनारस ले जाकर भर्ती किया**, जहां पता चला कि मरीज को बाएं तरफ का लकवा (Paralysis) हो गया है।

अस्पताल द्वारा दिए गए दस्तावेज पाए गए फर्जी

प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि गौरव हॉस्पिटल ने उन्हें तीन अलग-अलग विरोधाभासी डिस्चार्ज समरी दी, जिनमें कई विसंगतियाँ थीं। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि 14.09.2024 को भर्ती मरीज की ECG रिपोर्ट 23.02.2022 की तारीख वाली दी गई, जो स्पष्ट रूप से फर्जी है।

मरीज की 27 अक्टूबर 2025 को मौत

लकवाग्रस्त होने व इलाज में देरी के कारण मरीज की स्थिति गंभीर होती चली गई और 27 अक्टूबर 2025 को उनकी मृत्यु हो गई। आवेदक के अनुसार यह सब चिकित्सक की घोर लापरवाही और गलत इलाज का नतीजा था।

सैन्य अधिकारियों पर भी मामले को दबाने का आरोप

प्रार्थी ने आरोप लगाया कि यह मामला केवल उनकी मां तक सीमित नहीं है, बल्कि कई सेवानिवृत्त सैनिकों और उनके आश्रितों को भी इसी अस्पताल से नुकसान उठा पड़ा है।
उन्होंने पूरे प्रकरण की सूचना UP Medical Council, डीएम बलिया, सीएमओ, एसपी बलिया को रजिस्टर्ड डाक से दी थी, लेकिन कहीं से उचित कार्रवाई नहीं हुई।

प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई न होने के बाद निराश होकर प्रार्थी ने अदालत का सहारा लिया। सीजेएम बलिया ने प्राथमिक दृष्टया आरोप गंभीर पाए और FIR दर्ज कर जांच शुरू करने का आदेश जारी कर दिया।
 

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