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संभल हिंसा : 1000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल, सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क सहित 23 लोगों पर लगे गंभीर आरोप

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उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पिछले साल 24 नवंबर को हुई हिंसा (Sambhal Violence) के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। शाही जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में भड़की इस हिंसा में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क सहित 23 लोगों के खिलाफ जिला न्यायालय की MP-MLA कोर्ट में एक हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई है।

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चार्जशीट के मुताबिक, सपा सांसद बर्क पर हिंसा से पहले उग्र भाषण देकर लोगों को उकसाने का आरोप है। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई थी, जबकि 23 पुलिसकर्मियों समेत कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। पुलिस के अनुसार, यह बवाल तब शुरू हुआ जब कोर्ट के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर की टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी। सर्वे के विरोध में भीड़ ने पथराव, आगजनी और फायरिंग की, जिससे सरकारी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा।

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पुलिस गाड़ियां भी बनी आग का शिकार

इस दौरान हालात इतने बेकाबू हो गए कि कई पुलिस वाहन भी भीड़ की आगजनी का शिकार हो गए और पूरी तरह जलकर राख हो गए। पुलिस ने इस हिंसा का मास्टरमाइंड सपा सांसद को बताया है। हालांकि सांसद बर्क ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह सब राजनीतिक साजिश है और घटना के वक्त वह संभल में मौजूद ही नहीं थे।

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हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक

इस मामले में फिलहाल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सपा सांसद की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है, लेकिन उन्हें जांच में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया है। वहीं, हिंसा की जांच कर रही एसआईटी ने पहले ही जामा मस्जिद सदर के एडवोकेट जफर अली को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। उनकी जमानत याचिका चंदौसी की अदालत ने खारिज कर दी थी।

यह मामला अब अदालत के सामने है, और आगे की सुनवाई में कई अहम खुलासे हो सकते हैं।

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पिछले साल 24 नवंबर को हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। शाही जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में भड़की इस हिंसा में समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क सहित 23 लोगों के खिलाफ जिला न्यायालय की MP-MLA कोर्ट में एक हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई है।

चार्जशीट के मुताबिक, सपा सांसद बर्क पर हिंसा से पहले उग्र भाषण देकर लोगों को उकसाने का आरोप है। इस हिंसा में चार लोगों की जान चली गई थी, जबकि 23 पुलिसकर्मियों समेत कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। पुलिस के अनुसार, यह बवाल तब शुरू हुआ जब कोर्ट के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर की टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी। सर्वे के विरोध में भीड़ ने पथराव, आगजनी और फायरिंग की, जिससे सरकारी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा।

पुलिस गाड़ियां भी बनी आग का शिकार

इस दौरान हालात इतने बेकाबू हो गए कि कई पुलिस वाहन भी भीड़ की आगजनी का शिकार हो गए और पूरी तरह जलकर राख हो गए। पुलिस ने इस हिंसा का मास्टरमाइंड सपा सांसद को बताया है। हालांकि सांसद बर्क ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह सब राजनीतिक साजिश है और घटना के वक्त वह संभल में मौजूद ही नहीं थे।

हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक, सहयोग का आदेश

इस मामले में फिलहाल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सपा सांसद की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है, लेकिन उन्हें जांच में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया है। वहीं, हिंसा की जांच कर रही एसआईटी ने पहले ही जामा मस्जिद सदर के एडवोकेट जफर अली को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। उनकी जमानत याचिका चंदौसी की अदालत ने खारिज कर दी थी।

यह मामला अब अदालत के सामने है, और आगे की सुनवाई में कई अहम खुलासे हो सकते हैं।

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