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संभल मस्जिद ध्वस्तीकरण मामला: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनवाई से किया इंकार, मुस्लिम पक्ष को झटका

दशहरा अवकाश के दिन बैठी विशेष बेंच ने कहा – वैकल्पिक उपाय मौजूद हैं | अब ट्रायल कोर्ट में अपील की तैयारी | मस्जिद के कुछ हिस्से को सरकारी जमीन पर बताया गया

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प्रयागराज /संभल। संभल जिले में तालाब और सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद के ध्वस्तीकरण मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को मस्जिद पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की एकलपीठ ने सुनाया।

मस्जिद शरीफ गोसुलबारा रावां बुजुर्ग और मस्जिद के मुतवल्ली मिंजर की ओर से दाखिल याचिका में प्रशासनिक कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिका पर अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक श्री त्रिपाठी ने पक्ष रखा, जबकि राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल उपस्थित रहे।

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दशहरा अवकाश के दौरान दाखिल की गई इस अर्जेंट याचिका पर शनिवार सुबह विशेष बेंच बैठाई गई थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि इस मामले में वैकल्पिक कानूनी उपचार उपलब्ध है, इसलिए हाई कोर्ट इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं करेगा।

कानूनी जानकारों के मुताबिक, अब मस्जिद पक्ष इस मामले में ट्रायल कोर्ट या सिविल कोर्ट में अपील दाखिल कर सकता है।

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शुक्रवार को भी हुई थी सुनवाई

शुक्रवार को इस मामले में दोपहर करीब एक बजे से सवा घंटे तक सुनवाई हुई थी। उस समय भी कोर्ट ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी थी और मस्जिद पक्ष को आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। शनिवार को पुनः सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

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ग्रामीणों ने खुद शुरू की मस्जिद गिराने की प्रक्रिया

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, ग्राम गोसुलबारा रावां बुजुर्ग में प्रशासन ने मस्जिद को हटाने के लिए चार दिन का समय दिया था। समुदाय के लोगों ने प्रशासन की अपील स्वीकार करते हुए शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद स्वेच्छा से मस्जिद की दीवारें गिरानी शुरू कर दीं।
प्रशासन का कहना है कि मस्जिद का कुछ हिस्सा सरकारी भूमि पर, जबकि पास का बारात घर तालाब की जमीन पर बना हुआ था। ध्वस्तीकरण प्रक्रिया को लेकर पहले सोशल मीडिया पर कई भ्रामक सूचनाएं भी फैली थीं।

हाई कोर्ट का संदेश

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अवकाश के दिन सुनवाई केवल विशेष परिस्थितियों में होती है और यह मामला सामान्य प्रक्रिया के अंतर्गत ट्रायल कोर्ट में उठाया जा सकता है। अदालत ने सरकारी आदेश पर रोक लगाने से इंकार करते हुए कहा कि “वैकल्पिक उपाय अपनाना उचित होगा।”
 

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