
सहारा इंडिया की सम्पत्ति अदाणी प्रापॅपर्टीज प्राइवेट लिमिटेट को बेचने की तैयारी
अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई, 14 अक्तूबर को होगी सुनवाई



सहारा समूह ने निर्णय लिया है कि समूह की परिसंपत्तियों को अधिकतम मूल्य पर और शीघ्रता से बेचा जाय
नई दिल्ली। सहारा समूह को लेकर चल रही खबरों के बीच उनकी कंपिनयों के भविष्य से जुड़ी बड़ी जानकारी सामने आई है। कंपनी के नीति निर्धारक समूह की संपत्तियों को अदाणी प्रापॅपर्टीज प्राइवेट लिमिटेट को बेचने की तैयारी कर रहे हैं। इसकी अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है। सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईसीसीएल) ने महाराष्ट्र में एम्बी वैली और लखनऊ में शहरा शहर समेत विभिन्न संपत्तियों को अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस याचिका पर 14 अक्तूबर को सुनवाई होगी।


अधिवक्ता गौतम अवस्थी की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट से सहारा समूह की संपत्तियों को बेचने की अनुमति मांगी गई है। समूह की संपत्तियों को 6 सितंबर की टर्म शीट में निर्धारित नियमों और शर्तों पर अदाणी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचने की मंजूरी देने की अपील की गई है। सहारा समूह से संबंधित लंबित मामलों में दायर अंतरिम आवेदन में कहा गया है कि इस न्यायालय की ओर से समय-समय पर पारित विभिन्न आदेशों पालन करते हुए न्यायालय की अनुमति हासिल कर, एसआईसीसीएल और सहारा समूह बड़ी कठिनाई से अपनी कुछ चल और अचल संपत्तियां बेच पायें। इसकी आय को सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा कर दिया गया है। कहा गया कि 24,030 करोड़ रुपये की मूल राशि में से सहारा समूह ने अपनी चल और अचल संपत्तियों की बिक्री/परिसमापन (लिक्विडेशन) के जरिए लगभग 16,000 करोड़ रुपये की राशि जुटाई और उसे सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा कर दिया है।

प्रतिष्ठित एस्टेट ब्रोकरेज कंपनियों की सेवाएं लेने के बावजूद सहारा समूह की परिसंपत्तियों को बेचने या बेचने में भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) की असमर्थता की ओर इशारा करते हुए एसआईसीसीएल ने कहा कि सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा की गई पूरी धनराशि आवेदक और सहारा समूह के प्रयासों से और बड़ी कठिनाई से जमा की गई थी। एसआईसीसीएल ने आगे कहा कि नवंबर 2023 में सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय की मृत्यु के बाद, समूह ने अपना एकमात्र निर्णयकर्ता खो दिया है। याचिका में कहा गया कि दिवंगत सुब्रत रॉय के परिवार के सदस्य सहारा समूह के दैनिक व्यावसायिक संचालन और प्रबंधन में शामिल नहीं थे। हालांकि, निवेशकों के हितों की रक्षा करने की परिवार के सदस्यों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए, सहारा समूह ने निर्णय लिया है कि समूह की परिसंपत्तियों को अधिकतम मूल्य पर और शीघ्रता से बेचा जाय, ताकि न्यायालय की ओर से पारित आदेशों का पालन किया जा सके।

सहारा समूह की देनदारियों का निर्वहन किया जा सके और वर्तमान अवमानना कार्यवाही को समाप्त किया जा सके। एसआईसीसीएल ने कहा कि यह निर्णय सभी हितधारकों, विशेषकर सहारा समूह के निवेशकों के हित में लिया गया है। एसआईसीसीएल के अनुसार मौजूदा बाजार स्थितियों, व्यवहार्य प्रस्तावों की अनुपस्थिति और कई मुकदमों के लंबित रहने के कारण प्रयासों से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। इससे सामूहिक रूप से खरीदार का विश्वास कम हुआ और उक्त संपत्तियों की बाजार क्षमता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इसमें कहा गया है कि कई जांच एजेंसियों की ओर से दिवंगत सुब्रत रॉय के परिवार के सदस्यों और सहारा समूह के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ पूछताछ शुरू करने से यह प्रयास और जटिल हो गया है। उक्त समानांतर और असमन्वित कार्रवाइयां न केवल निवेशकों/जमाकर्ताओं के मन में भ्रम, विरोधाभासी आख्यान और अनुचित संदेह पैदा कर रही हैं।
बल्कि सहारा समूह द्वारा अपनी परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करने और इस न्यायालय के निर्देशों का पालन करने के चल रहे प्रयासों में भी प्रभावी रूप से बाधा डाल रही हैं और यह आगे भी बाधा डाल सकती हैं। नवंबर 2023 में सुब्रत रॉय की मृत्यु के बाद सहारा समूह में औपचारिक रूप से नामित निर्णय लेने वाले प्राधिकारी की अनुपस्थिति में कुछ व्यक्तियों ने पुराने बोर्ड प्रस्तावों पर भरोसा करते हुए उचित प्राधिकार के बिना समूह की अचल संपत्तियों से निपटने की कोशिश की। कहा कि समूह की परिसंपत्तियों की सुरक्षा और किसी भी अनधिकृत लेनदेन को रोकने के लिए विभिन्न न्यायालयों में शिकायत कर कार्रवाई की गई।

