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निजी अस्पताल मरीजों को समझ रहे ATM, सिर्फ भर्ती कर पैसे वसूलते हैं: हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डॉक्टर के खिलाफ आपराधिक केस रद्द करने की याचिका खारिज की, कहा- बिना व्यवस्था के मरीजों को भर्ती कर रहे निजी अस्पताल

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इलाहाबाद,भदैनी मिरर।  निजी अस्पताल मरीजों को एटीएम मानने लगे हैं—इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक केस की सुनवाई में यह तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने साफ कहा कि अब यह आम प्रैक्टिस बन गई है कि निजी अस्पताल पहले मरीजों को भर्ती कर लेते हैं और फिर डॉक्टर को बुलाया जाता है।
जस्टिस प्रशांत कुमार की एकल पीठ ने एक गर्भवती महिला की सर्जरी में लापरवाही बरतने के मामले में डॉक्टर अशोक कुमार की आपराधिक केस हटाने की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि यह मामला स्पष्ट रूप से लापरवाही और पैसे कमाने की नीयत से जुड़ा है।

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क्या था मामला?

अदालत के अनुसार, डॉक्टर अशोक कुमार ने एक गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती कर लिया जबकि अस्पताल में उस वक्त एनेस्थेटिस्ट मौजूद नहीं था। जरूरी स्टाफ की कमी के कारण समय पर ऑपरेशन नहीं हो सका और गर्भ में पल रहे भ्रूण की मौत हो गई।

❝ अदालत की सख्त टिप्पणी ❞

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कोर्ट ने कहा –“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि निजी अस्पतालों में अब यह आम हो गया है कि मरीजों को भर्ती कर लिया जाता है, भले ही इलाज के लिए जरूरी डॉक्टर वहां मौजूद न हो। भर्ती के बाद ही डॉक्टर को कॉल किया जाता है। मरीजों को एटीएम की तरह देखा जाता है, जिनसे पैसे वसूले जाएं।

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डॉक्टर का तर्क खारिज

डॉ. अशोक कुमार की ओर से यह दलील दी गई कि महिला के परिजन पहले ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन अदालत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि परिजनों से दोपहर 12 बजे ऑपरेशन की अनुमति मिल गई थी, लेकिन फिर भी सर्जरी टाली गई क्योंकि डॉक्टर अनुपलब्ध था।

लापरवाहों पर कार्रवाई जरूरी

हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जो मेडिकल प्रोफेशनल गंभीरता से अपना कर्तव्य निभाते हैं, उन्हें संरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन जो जानबूझकर बिना संसाधन के अस्पताल खोलते हैं, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
 

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