ओबरा खदान हादसा: बिल्ली मारकुंडी में चट्टान धंसकने से बढ़ा मौत का आंकड़ा, अब तक 7 शव निकाले
48 घंटे से राहत-बचाव जारी, दो सगे भाइयों सहित 6 शव सोमवार को बरामद; पिछले वर्ष मिली थी खदान को ‘क्लीन चिट’
Nov 18, 2025, 10:41 IST
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सोनभद्र। ओबरा क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी स्थित मेसर्स श्री कृष्णा माइनिंग वर्क्स की पत्थर खदान में शनिवार को हुआ भीषण हादसा लगातार बड़ा रूप लेता जा रहा है। सोमवार को मलबे से छह और शव निकाले गए, जिनमें दो सगे भाइयों के क्षत-विक्षत शव भी शामिल हैं। हादसे में अब तक सात मजदूरों की मौत की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है, जबकि राहत-बचाव अभियान पिछले 48 घंटे से बिना रुके जारी है।
मलबे में दबे थे करीब 15 मजदूर
शनिवार दोपहर ड्रिलिंग के दौरान अचानक विशाल चट्टान टूटकर मजदूरों पर गिर गई। बताया जा रहा है कि घटना के वक्त करीब 15 मजदूर खदान में मौजूद थे। चट्टान गिरते ही वे गहरे गड्ढे में मलबे के नीचे दब गए। घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन ने तुरंत एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को मोर्चे पर लगाया।



सोमवार सुबह पांच बजे तक चार शव बरामद किए जा चुके थे, जबकि शाम करीब आठ बजे दो और शव निकाले गए। इन क्षत-विक्षत शवों की पहचान परिजनों के लिए बेहद दुःखद और दर्दनाक रही।
दो सगे भाइयों समेत छह मजदूरों की मौत
मलबे से निकाले गए मृतकों में पनारी गांव के करमसार टोला निवासी इंद्रजीत यादव (32) और संतोष यादव (30) सगे भाई थे। इसके अलावा कोन के पिपरखाड़ गांव निवासी रविंद्र उर्फ नानक, पनारी के खड़ी टोला निवासी रामखेलावन (40), परसोई गांव के टोला जकहवा निवासी गुलाब उर्फ मुंशी की भी मौत की पुष्टि हुई है।

छठवें शव की शिनाख्त अभी तक नहीं हो सकी है।
हादसा इतना भयावह था कि शवों की पहचान कपड़ों, हाथ में बंधे कलावा और गुदने (गोदना) के आधार पर करनी पड़ी। कई शवों के शरीर के अंग अलग-अलग मिले, जिन्हें एकत्र कर पोस्टमार्टम कराया गया।
प्रभारी मंत्री पहुंचे पोस्टमार्टम हाउस, 20.55 लाख मुआवजे का ऐलान

जिले के प्रभारी मंत्री रवींद्र जायसवाल सोमवार को पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की और बताया कि मृत मजदूरों के परिवारों को 20.55 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
खदान को मिली थी क्लीन चिट, अब सवालों के कटघरे में प्रशासन
इस हादसे ने खदान संचालन और प्रशासनिक निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, पिछले वर्ष छह अफसरों की एक संयुक्त टीम– खान सुरक्षा विभाग, यूपीपीसीबी, खनन विभाग और प्रशासन ने खदान का निरीक्षण किया था।
अपने निरीक्षण में टीम ने सुरक्षा मानकों के पालन, बेंचिंग सिस्टम और सुरक्षा उपकरणों के उपयोग का हवाला देते हुए खदान को क्लीन चिट दे दी थी।
अब इतने बड़े हादसे के बाद यह जांच रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि हादसे की तीव्रता बताती है कि सुरक्षा मानक कागजों पर ही सीमित रहे।
राहत-बचाव जारी, प्रशासन सतर्क
प्रशासन का कहना है कि जब तक यह सुनिश्चित न हो जाए कि मलबे के नीचे और कोई मजदूर फंसा नहीं है, तब तक राहत-बचाव अभियान बंद नहीं किया जाएगा। एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की टीमें भारी मशीनों की मदद से खदान की गहराई तक पहुंचकर लगातार मलबा हटाने का काम कर रही हैं।


