
मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को कोर्ट से मिली राहत, सजा के खिलाफ अपील मंजूर, अब कल होगी सुनवाई
अदालत ने अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में सुनाई थी दो साल की सजा, लगाया था जुर्माना




सजा सुनाये जाने के दूसरे ही दिन चली गई थी विधानसभा सदस्यता, निर्वाचन आयोग से चुनाव कराने की सिफारिश
मऊ, भदैनी मिरर। माफिया स्व. मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर से सुभासपा के विधायक रहे अब्बास अंसारी को सोमवार को हेट स्पीच मामले में मिली दो साल की सजा के मामले में सेशन कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। उनकी ओर से सेशन कोर्ट में सजा के खिलाफ की गई अपील मंजूर हो गई है। मंगलवार यानी दस जून को अदालत इस मामले पर सुनवाई करेगी।


गौरतलब है कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 31 मई को अब्बास अंसारी को हेट स्पीच के मामले में दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अगले ही दिन अब्बास की विधानसभा सदस्यता भी चली गई। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान अब्बास अंसारी पर हेट स्पीच का आरोप है। 3 मार्च 2022 को चुनाव प्रचार के दौरान नगर कोतवाली क्षेत्र के पहाड़पुरा मोहल्ले में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने खुलेआम अधिकारियों को धमकी देते हुए हिसाब किताब कर लेने की बात कही थी। कहा था कि चुनाव बाद सरकार बनने पर अधिकारियों का तबादला तब तक नहीं होगा, जब तक हिसाब पूरा नहीं हो जाता है। इस बयान को अधिकारियों को धमकी माना गया और अब्बास अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।


आपको बता दें कि सीजेएम (एमपी/एमएलए) कोर्ट से स्व. मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को नफरती भाषण मामले में दो साल की सजा सुनाये जाने के बाद रविवार को यूपी विधानसभा सचिवालय ने अधिसूचना जारी कर अब्बास अंसारी की सदस्यता खत्म कर दी थी। यही नही सचिवालय ने निर्वाचन आयोग से चुनाव कराने की सिफारिश की है। सदस्यता खत्म होने के बाद सदर विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक सरगर्मी तेज है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में घोसी से अब्बास अंसारी ने राजनीति में कदम रखा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। पूर्व राज्यपाल फागू चौहान से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वर्ष अब्बास अंसारी 2022 के चुनाव में अपने पिता मुख्तार अंसारी की सीट मऊ सदर से सुभासपा के टिकट पर मैदान में उतरे। अब्बास अंसारी भाजपा प्रत्याशी अशोक सिंह को हराकर पहली बार विधायक चुने गए। चुनाव प्रचार के दौरान हेट स्पीच का मामला आया और मुकदमा दर्ज किया गया। इस प्रकरण में शनिवार को अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई गई थी।

आपको यह भी बता दें कि रिप्रेजेंटेटिव्स ऑफ द पीपल एक्ट, 1951 के सेक्शन 8 (3) के तहत किसी जनप्रतिनिधि के किसी मामले में दोषी करार होने और कम से कम दो साल की सजा मिलने पर उसकी विधानसभा या संसद की सदस्यता अपने आप खत्म हो जाती है। अब्बास मामले में कोर्ट का फैसला आने के 24 घंटे के भीतर मऊ से लखनऊ फाइल पहुंच गई। दूसरे ही दिन रविवार को विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे की ओर से अब्बास अंसारी की सदस्यता समाप्त कर सीट को रिक्त घोषित करने का आदेश जारी हो गया। साथ ही मुख्य निर्वाचन अधिकारी को उपचुनाव कराने का प्रस्ताव भी भेज दिया गया।
अब्बास अंसारी को धारा 120 (बी) में छह महीने के साधारण कारावास और एक हजार रुपये जुर्माना। धारा 153 (ए) में दो साल का साधारण कारावास और तीन हजार रुपये जुर्माना। धारा 171 (एफ) में छह महीने के साधारण कारावास और दो हजार रुपये जुर्माना। धारा 189 में दो साल के साधारण कारावास और तीन हजार रुपये जुर्माना। धारा 506 में एक साल के साधारण कारावास और दो हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। मऊ के एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा अब्बास अंसारी को सजा सुनाये जाने के बाद से ही प्रतिक्रियाओं का दौर तेज हो गया था। इसके बाद ही अब्बास अंसारी से फैसले से असहमति जताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी। मुख्तार अंसारी के जीवित रहते उनके खिलाफ हो रही कार्रवाई के दौर से ही उनके परिवार को राजनीतिक विद्वेष और दुर्भावना के तहत कार्रवाई का आरोप लगाया जा रहा था। यह आरोप अब भी लगाये जा रहे हैं।

