उन्नाव दुष्कर्म केस में पूर्व BJP नेता व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका
विपक्ष के नेता राहुल गांधी से पीड़िता की मुलाकात के बाद पलटा पासा
सीबीआई ने की हाईकोर्ट के फैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग
लखनऊ। वर्ष 2017 के उन्नाव दुष्कर्म केस मामले में पूर्व भाजपा नेता व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें अब फिर बढ़ती जा रही हैं। उनके जेल की सजा निलंबित करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष याचिका दायर कर दी है। इस मामले में वकील अंजले पटेल और पूजा शिल्पकार की ओर से दायर याचिका में हाई कोर्ट के फैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई है। उन्होंने दलील दी है कि हाईकोर्ट ने यह विचार किए बिना आदेश पारित किया कि ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को शेष जीवन जेल में बिताने योग्य माना था। कहा कि गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड और दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों में उसकी पक्की संलिप्तता के बावजूद सेंगर को सजा निलंबित करके हाईकोर्ट ने कानून और तथ्यों दोनों के मामले में गंभीर गलती की है। याचिका में कहा गया ’हाई कोर्ट पीड़ित पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूतों को समझने में नाकाम रहा, जो कि आरोपी की बर्बरता और क्रूरता को दिखाता है। इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि जब पीड़िता के पिता न्यायिक हिरासत में थे, तब आरोपी ने परिवार को चुप कराने और न्याय की प्रक्रिया को रोकने के लिए पीड़िता के पिता की हत्या की साजिश रची और उसे अंजाम दिया।




गौरतलब है कि 23 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म केस में कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी। कोर्ट ने कहा कि सेंगर ने 7 साल और 5 महीने जेल में बिता लिए हैं, इसलिए उनकी सजा को निलंबित किया जाता है। हालांकि सेंगर जेल में ही रहेगा, क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की सजा काट रहा है। उस मामले में उसे जमानत नहीं मिली है। मामले में हाईकोर्ट ने कई शर्तें लगाते हुए सेंगर को राहत दी थी। कोर्ट ने 15 लाख रुपये के पर्सनल बॉन्ड और इतनी राशि की तीन जमानतों और दिल्ली में पीड़िता के घर के 5 किमी के दायरे में न आने जैसी कड़ी शर्तों के साथ उसे राहत दी थी। आपको बता दें कि दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट ने नाबालिग के अपहरण और रेप के मामले में सेंगर को दोषी ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही यह पूरा मामला 2019 में उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर किया गया था। फिलहाल अब सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि इस मामले में सजा निलंबन का आदेश कानूनन उचित है या नहीं।

विपक्ष के नेता से पीड़िता के मुलाकात के बाद पलटा पासा
बता दें कि पीड़िता ने बुधवार 24 दिसंबर को 10 जनपथ पहुंचकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मुलाकात की थी। इस दौरान पीड़िता ने राहुल गांधी के सामने तीन मांगें रखी थीं। इनमें उन्हें सुप्रीम कोर्ट में सेंगर के खिलाफ लड़ने के लिए एक टॉप वकील दिलाने में मदद करें। राहुल ने ऐसा करने का वादा किया। दूसरा यह कि उन्हें कांग्रेस शासित राज्य में शिफ्ट होने में मदद करें, क्योंकि उन्हें मारे जाने का डर था और उन्हें अपनी सुरक्षा पर भरोसा नहीं था। राहुल गांधी ऐसा करने पर भी सहमति जताई थी। पीड़िता के पति ने विपक्ष के नेता से बेहतर नौकरी के लिए कहा था तो उन्होंने कहा था कि वह वह इस पर ध्यान देंगे। राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद उन्नाव पीड़िता ने कहाकि मैंने तो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मिलने की गुहार लगाई, लेकिन मुझसे कोई नहीं मिला। लेकिन राहुल भैया ने मुझे सीधे कॉल किया और मुझे न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है। सेंगर को जमानत मिलने से देश की बेटियों के मन में डर है कि अगर कोई मेरे साथ रेप करेगा तो वो छूट जाएगा।

