
बड़ी पुत्री की लग गई नौकरी तो छोटी बेटी को दें पारिवारिक पेंशन-हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अधिवक्ता गोपाल जी खरे और सरकारी वकील को सुनने के बाद दिया आदेश




कोर्ट ने याची स्वाति के दावे की जांच और दावा सही पाये जाने पर पेंशन जारी करने का दिया निर्देश
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिता की मृत्यु के बाद पेंशन पा रही बड़ी पुत्री की नौकरी लगने पर तलाकशुदा मां के साथ रह रही उसकी छोटी बहन को पारिवारिक पेंशन देयता पर निर्णय लेकर पेंशन जारी करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने छोटी पुत्री स्वाति की याचिका पर उसके अधिवक्ता गोपाल जी खरे और सरकारी वकील के तर्कों को सुनकर दिया है।


अधिवक्ता खरे ने कोर्ट से कहा कि यदि किसी दिवंगत कर्मचारी की पारिवारिक पेंशन उनके बड़े पुत्र या पुत्री को दी गई हो, और उसके बाद पारिवारिक आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति दे दी जाए, तो ऐसी स्थिति में अन्य आश्रितों के अधिकार समाप्त नहीं हो जाते। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 16 मई 2015 के शासनादेश के अनुसार अविवाहित बेटियां आश्रित की श्रेणी में पारिवारिक पेंशन की पूर्ण पात्र हैं।


तथ्यों के अनुसार मेरठ में ईशापुरम मवाना रोड की रहनेवाली याची स्वाति के पिता गोपाल कृष्ण की 15 मार्च 2011 को मृत्यु हो गई। गोपाल कृष्ण मेरठ जिला निर्वाचन कार्यालय में चपरासी थे। हालांकि याची के पिता व मां अनीता का 16 मई 2001 को ही विवाह विच्छेद हो गया था। इसके बाद से याची की बड़ी बहन चारु पिता गोपाल कृष्ण के साथ रह रही थी। याची स्वाति और उसका छोटा भाई राहुल अपनी मां अनीता के साथ रह रहे थे। पिता की मृत्यु के बाद याची की बड़ी बहन चारु को पिता की पारिवारिक पेंशन मिल रही थी। वर्ष 2013 में चारु को जिला निर्वाचन अधिकारी मेरठ में पिता की जगह कनिष्ठ लिपिक पद पर अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति मिल गई। इसके कारण चारु को पारिवारिक पेंशन मिलना बंद हो गया।

इस मामले में स्वाति का कहना था कि वह अविवाहित है और पारिवारिक पेंशन की समस्त अर्हता रखती है। इस पेंशन से वह अपने व छोटे भाई की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति और भरण पोषण कर सकेगी। स्थायी अधिवक्ता ने कहा कि 16 मई 2015 के शासनादेश के तहत पारिवारिक पेंशन का लाभ उठाने के लिए अविवाहित बेटियों को आश्रितों की श्रेणी में शामिल किया गया है। इसलिए सक्षम प्राधिकारी को याची की शिकायत की जांच करने और कानून के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया जा सकता है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 16 मई 2015 के शासनादेश के आलोक में पारिवारिक पेंशन के लिए याची स्वाति के दावे की जांच कर दो महीने के भीतर कोई तकनीकी कठिनाई न होने और याची का दावा सही पाए जाने पर उसके पक्ष में पारिवारिक पेंशन जारी करने का निर्देश दिया।

