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महिला घरेलू हिंसा के आरोप साबित नही कर पाती तो वह भरण-पोषण राशि पाने की हकदार नही

रामपुर कोर्ट ने हिमाचल उच्च न्यायालय के आदेश का दिया हवाला और पत्नी का आवेदन किया खारिज 

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शादी के दो साल बाद ही नाबालिग बच्चे और पति को छोड़कर चली गई थी महिला

रामपुर। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रामपुर बुशहर की अदालत ने एक मामले में स्पष्ट किया कि अगर पत्नी घरेलू हिंसा के आरोप साबित नहीं कर पाती है तो वह  भरण-पोषण राशि पाने की हकदार नहीं होगी। रामपुर की अदालत ने इस संबंध में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मनोहर सिंह बनाम द्रौपती देवी (2021) के फैसले का हवाला भी दिया।

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दरअसल रामपुर क्षेत्र की एक महिला ने घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम-2005 की धारा 12 के तहत अपने पति के खिलाफ संरक्षण आदेश, भरण-पोषण, आवास और धारा 22 के तहत मुआवजे की मांग करते हुए कोर्ट में आवेदन दिया था। पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसका पति उसे जरूरी खर्च, भोजन, दवा और कपड़े तक मुहैया नहीं करवा रहा है। उसके साथ मारपीट करता है और उसे धमकियां भी देता है। इस पर पति ने कोर्ट में पत्नी के सभी आरोपों को झूठा बताया। बताया कि उनकी शादी के दो साल बाद ही पत्नी का व्यवहार बदल गया था। उसकी पत्नी बिना कोई कारण बताए उसे और नाबालिग बेटे को छोड़कर चली गई। पति ने कोर्ट में बताया कि वह पूर्व सैनिक है और कानून का पूरा सम्मान करता है। उसने अपनी पत्नी के नाम पर एफडी, जीपीएफ ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट और ग्रुप इंश्योरेंस भी करवाए हैं।

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बहस के दौरान अदालत में पत्नी ने माना कि सर्विस के दौरान पति उसके अकाउंट में रूपये भेजता था। उनका जॉइंट अकाउंट है और पति की पेंशन उसी अकाउंट में आती है। वह पंचकूला में काम कर रही है। महीने में 10 से 15 हजार रुपये कमाती हैं और 2020 से अलग रह रही हैं। पति के खिलाफ फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दाखिल की है। रामपुर की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने और पत्रावलियों के अवलोकन के बाद फैसले में कहाकि आवेदिका ने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया जो प्रतिवादी के खिलाफ आरोपों की पुष्टि करती हो। प्रतिवादी पर अपने बेटे और अन्य परिवार के सदस्यों की जिम्मेदारी है। पत्नी ने अदालत में पहले ही तलाक की याचिका दाखिल की है। इससे यह पता चलता है कि वह प्रतिवादी के साथ रहने को तैयार नहीं है। यह सारे तथ्य दर्शाते हैं कि आवेदिका ने प्रतिवादी के खिलाफ अपने आरोपों को साबित नहीं किया है।

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आपको बता दें कि प्रदेश के उच्च न्यायालय ने मनोहर सिंह बनाम द्रौपती देवी 2021 के मामले में टिप्पणी की है कि यदि पत्नी घरेलू हिंसा के तथ्य को साबित करने में विफल रही है तो वह किसी भी भरण-पोषण की हकदार नहीं है। कहाकि अधिनियम का मुख्य उद्देश्य और प्रयोजन केवल घरेलू हिंसा के कारण पत्नी को राहत देना है। घरेलू हिंसा के अंतर्गत भरण-पोषण तीन आधारों शारीरिक दुर्व्यवहार, मानसिक और आर्थिक दुर्व्यवहार पर दिया जा सकता है। इसलिए न्यायालय पाता है कि आवेदक घरेलू हिंसा के आधार पर राहत पाने का हकदार नहीं है। इसलिए आवेदन स्वीकार करने योग्य नहीं है और इसे खारिज किया जाता है। 

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