स्तन पकड़ना, पायजामा का नाड़ा तोडना बलात्कार नहीं वाले टिप्पणी पर बोली रेखा शर्मा, NCW को जाना चाहिए सुप्रीम कोर्ट




दिल्ली,भदैनी मिरर। इलाहबाद हाईकोर्ट के जस्टिस द्वारा की गई स्तन पकड़ना, पायजामा का नाड़ा तोडना बलात्कार का अपराध नहीं है के टिपण्णी पर राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की पूर्व प्रमुख और राज्यसभा संसद रेखा शर्मा ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि यदि जज संवेदनशील नहीं हैं, तो महिलाएं और बच्चे क्या करेंगे? राष्ट्रीय महिला आयोग को सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए. जजों को बताया जाना चाहिए कि वे इस तरह के फैसले नहीं दे सकते. कहा कि यह पूरी तरह से गलत है और मैं इसके खिलाफ हूं.

रेखा शर्मा ने कहा कि जजों को देखना चाहिए कि लोगों की मंशा क्या है? एक्यूज्ड को मंशा पर पनिशमेंट मिलनी चाहिए ना की रेप होने पर. हमें बच्चियों और युवतियों को बचाना है. ऐसे में तो आरोपी कहेगा हम तो केवल नाड़ा खोल रहे थे, रेप थोड़ी न किया है. सवाल तो यह होना चाहिए कि जब रेप नहीं करना है तो नाड़ा खोला ही क्यों? आरोपियों को मंशा पर सजा मिलनी चाहिए.

क्या है मामला
कासगंज की एक कोर्ट ने नाबालिग को पुलिया के नीचे खींचने और उसके पायजामे के नाड़ा को तोड़ने के मामले में आरोपी पवन और आकाश को आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) और पॉक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत मुकदमे के लिए तलब किया था. परिजनों का आरोप था कि आरोपियों ने दुष्कर्म की कोशिश की थी. इसी प्रकरण में जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र ने अपने आदेश में अपराध की 'तैयारी' और 'वास्तविक प्रयास' के बीच का अंतर बताया है. इसके साथ ही निचली कोर्ट द्वारा तय गंभीर आरोप में संशोधन का आदेश दिया. आदेश में आगे कहा, 'दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाने के लिए साबित करना होगा कि मामला तैयारी से आगे बढ़ चुका था. तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच अंतर है. उन्होंने इसी प्रकरण में टिपण्णी करते हुए कहा कि निजी अंग पकड़ना, उसके पायजामे की डोरी तोड़ना और उसे घसीटने की कोशिश करना दुष्कर्म या दुष्कर्म के प्रयास का मामला नहीं बनता.


