
UP के नगर निगमों की ऐतिहासिक राजस्व वृद्धि: योगी सरकार के सुधारों से 44.5% वार्षिक बढ़ोतरी, लखनऊ नगर निगम सबसे आगे




लखनऊ, भदैनी मिरर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के नगरीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास अब फल देने लगे हैं। प्रदेश के नगर निगमों और अन्य नगरीय निकायों के स्वयं स्रोत राजस्व में वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता तथा कर संग्रहण प्रणाली में किए गए व्यापक सुधारों के चलते ऐतिहासिक 44.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

2494 करोड़ से बढ़कर 5568 करोड़ रुपये तक पहुंचा राजस्व
वित्त वर्ष 2021-22 में जहां प्रदेश के नगरीय निकायों ने कुल 2494 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था, वहीं वर्ष 2024-25 में यह आंकड़ा बढ़कर 5568 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। यानी महज तीन वर्षों में नगर निकायों के राजस्व में ढाई गुना से भी अधिक की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।


वित्तीय वर्ष 2023-24 में नगर निकायों द्वारा 3853 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया था, जबकि इस वर्ष 44.5 प्रतिशत वृद्धि के साथ यह आंकड़ा 5568 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
नगर निगमों की भूमिका रही प्रमुख, लखनऊ बना सबसे बड़ा योगदानकर्ता
प्रदेश के 17 नगर निगमों ने कुल राजस्व का 82 प्रतिशत यानी 4586 करोड़ रुपये का योगदान दिया है। इनमें लखनऊ नगर निगम ने सर्वाधिक 1355.32 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह कर पहला स्थान प्राप्त किया है।
इसके बाद:

- कानपुर नगर निगम: 720.62 करोड़ रुपये
- गाजियाबाद नगर निगम: 609.89 करोड़ रुपये
- प्रयागराज नगर निगम: 327.83 करोड़ रुपये
इसके अलावा आगरा, वाराणसी, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली और गोरखपुर नगर निगमों ने भी 100 करोड़ रुपये से अधिक की स्वयं स्रोत राजस्व प्राप्ति दर्ज की है।
वहीं प्रदेश की नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों ने भी उल्लेखनीय योगदान दिया है। नगर पालिका परिषदों ने कुल 732 करोड़ रुपये और नगर पंचायतों ने 250 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है, जो कुल राजस्व का 18 प्रतिशत है।
विश्लेषण से पता चलता है कि कुल स्वयं स्रोत राजस्व में 42 प्रतिशत हिस्सा गैर-कर राजस्व से आया है। इसमें किराया, शुल्क, जुर्माना और अन्य आय के स्रोत शामिल हैं। खासतौर पर सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के प्रभावी क्रियान्वयन के चलते 4.24 करोड़ रुपये का जुर्माना भी वसूला गया है, जो पर्यावरणीय जागरूकता और कानून के पालन को प्रोत्साहित करता है।
आर्थिक अनुशासन और सुधारों का प्रत्यक्ष परिणाम
नगर विकास विभाग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के अनुरूप शहरी क्षेत्र के विकास, आधारभूत संरचना सुदृढ़ीकरण और नगरीय निकायों की वित्तीय आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए ठोस पहल की है।
राजस्व संग्रहण प्रणाली में तकनीकी सुधार, डिजिटल भुगतान की सुविधा, कर दायरे का विस्तार, करदाता जागरूकता अभियान और पारदर्शी कार्यप्रणाली ने इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राज्य सरकार का लक्ष्य आगामी वर्षों में नगर निकायों की राजस्व प्राप्ति को और अधिक बढ़ाना और इन निकायों को स्वावलंबी बनाकर प्रदेश के शहरी विकास को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाना है। इसके लिए:
- डिजिटल इन्वॉइसिंग,
- सम्पत्ति कर का व्यापक आकलन,
- अतिरिक्त सेवाओं के माध्यम से गैर-कर राजस्व बढ़ाने,
- और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP मॉडल) के माध्यम से आय बढ़ाने के प्रयास जारी रहेंगे।

