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26 दिन पहले कफ सिरप कांड के आरोपितों संग पार्टी में शामिल हुए थे पूर्व सांसद धनंजय सिंह

नौगढ़ में राजदरी-देवदरी जल प्रपात में हुई थी दिव्य पार्टी, रिजॉर्ट में किया था रात्रि विश्राम

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अमित सिंह टाटा, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह के साथ तस्वीरें वायरल 

खुद अमित टाटा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर किया था पोस्ट

वाराणसी, भदैनी मिरर। नशीले कफ सिरप तस्करी कांड में जौनपुर के पूर्व सांसद का नाम ऐसे ही विपक्ष नही उछाल रहा है। अमित सिंह टाटा, बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह के उनके करीबी होने की चर्चा तो पहले से आम है। इधर, पिछले दिनों पूर्व सांसद ने बयान जारी कर सफाई दी तो उधर, उनकी नजदीकियों की फोटो फिर सोशल मीडिया में वायरल होने लगी। पूर्व सांसद के साथ इनका यह फोटो चंदौली जिले के राजदरी-देवदरी जलप्रपात का है। इन लोगों ने नौगढ़ के ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि सुजीत सिंह सुड्डू सहित कई अन्य नेताओं के साथ प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाते हुए फोटो खिंचाई थी और रात को वहीं रिजार्ट में रूके भी थे। अगले दिन सभी तस्वीरों को टाटा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट किया था। जिसमें धनंजय सिंह के दोनों तरफ टाटा और आलोक सिंह हैं। खास बात यह कि इन तस्वीरों को कफ सिरप कांड के आरोपित अमित सिंह टाटा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट किया था। 

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नशीले कफ सिरप मामले में अमित सिंह टाटा और बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह के गिरफ्तार होने के बाद सोशल मीडिया पर नौगढ़ के पूर्व ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि सुजीत सिंह सुड्डू सहित कई लोगों के साथ यह तस्वीर खूब वायरल हो रही है। जलप्रपात पर पिछले 8 नवंबर को पार्टी हुई थी। इसमें कफ सिरप तस्करी के आरोपित अमित सिंह टाटा और बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह के साथ जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह भी आए थे। बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के बाद वापसी के दौरान पार्टी रखी गई थी। यहां गेस्ट हाउस में पहले से मौजूद राज्य मंत्री दानिश अंसारी ने भी धनंजय सिंह से मुलाकात की थी। इसके बाद पूर्व सांसद धनंजय सिंह, अमित सिंह टाटा, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह सहित उनके कई लोग जलप्रपात से कुछ दूर स्थित निजी राजदरी रिजॉर्ट में रात को रुके थे। इसके बाद 9 नवंबर को सभी लोग चले गये। 

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गौरतलब है कि कफ सिरप कांड में विपक्ष खासकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार को घेरते हुए मामले की न्यायिक जांच की मांग की थी। कहा था कि एसआईटी जांच पर उनको भरोसा नही है। सत्ता से जुड़े लोगों की संलिप्तता और पूर्व सांसद के संरक्षण के आरोप लगे। हालांकि प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच की घोषणा नही की। एसआईटी जांच से ही काम चलाया जा रहा है। जब कफ सिरप कांड ेमें पूर्व सांसद का नाम उछला तो उन्होंने बयान जारी किया था। इस कांड में उनकी छवि पर आंच आई लेकिन बयान में  उन्होंने इसे प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री और मुख्यमंत्री की छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया को अर्दब में लेने का प्रयास किया था। लेकिन अब लगातार काले चिट्ठे खुल रहे हैं। 

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