
हाईकोर्ट ने महोबा के पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार की खारिज की जमानत अर्जी
व्यापारी रविकांत त्रिपाठी से रिश्वत मांगने, प्रताड़ित करने और आत्हत्या के लिए उकसाने का दर्ज है मामला




विस्फोटक का कारोबार करता था इंद्रकांत त्रिपाठी, जान बचाने के लिए सीएम से भी लगाई थी गुहार
लम्बे समय तक फरार रहने के बाद अब जेल में है पाटीदार
प्रयागराज। महोबा के व्यापारी रविकांत त्रिपाठी से रिश्वत मांगने, मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और खुदकुशी के लिए उकसाने जैसे गंभीर मामलों के आरोपित पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी। महोबा के पूर्व एसपी पाटीदार के खिलाफ यह मामला लम्बे समय से सुर्खियों हैं। उनके खिलाफ इससे पहले भी आरोप लगते रहे। व्यापारी के मामले में पाटीदार लम्बे समय तक फरार रहे। फिलहाल जेल में बंद हैं। जमानत अर्जी पर सुनवाई न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने की।

मृत इंद्रकांत त्रिपाठी के भाई रविकांत त्रिपाठी ने इस मामले में एफआआईआर दर्ज कराई थी। बताया कि इंद्रकांत त्रिपाठी विस्फोटक का कारोबार करता था। उसके पास इसका लाइसेंस भी था। इसके अलावा इंद्रकांत कई फर्मों में हिस्सेदार भी था।
अजय सोनी और ब्रह्मानंद ने कर ली थी पाटीदार से सांठगांठ


रविकांत ने आरोप लगाया गया है कि प्रतिद्वंदी फर्म के अजय सोनी और ब्रह्मानंद ने इंद्रकांत को सबक सिखाने के लिए एसपी महोबा मणिलाल पाटीदार से सांठगांठ कर ली। इसके बाद तीनों ने मिलकर जून 2020 में 6 लाख रुपये प्रतिमाह रिश्वत देने की मांग की। बताया जाता है कि इंद्रकांत ने कुछ समय तक रिश्वत की रकम दी। लेकिन बाद में कारोबार में घाटा होने के कारण इंद्रकांत रकम नहीं दे पाया। इसके बाद उसे तरह-तरह की धमकियां मिलने लगीं।

जिंदगी तबाह कर देने और हत्या की मिल रही थी धमकी
आरोपितों को पाटीदार का पूरा संरक्षण था। इसलिए इंद्रकांत को झूठे मुकदमे में फंसाकर जिंदगी तबाह कर देने और जेल में बंद कर हत्या करवाने की भी धमकी दी गई। इससे इंद्रकांत तंग आ गया। फिर इंद्रकांत ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की थी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अपनी पीड़ा वायरल की थी। बताया था कि उसे रिश्वत न देने पर प्रताड़ित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री समेत अन्य अधिकारियों से शिकायत के बाद भी इंद्रकांत को राहत नही मिल सकी। आखिरकार आठ सितंबर 2020 को इंद्रकांत अपनी कार में घायल मिला। उसके गले में गोली लगी थी। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस की जांच में पता चला कि इंद्रकांत ने प्रताड़ना से ऊबकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में मणिलाल पाटीदार सहित अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, आत्महत्या के लिए प्रेरित करने सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। इधर, हाइकोर्ट में पाटीदार की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान पाटीदार के अधिवक्ता की दलील थी कि वह आईपीएस अधिकारी है और उसके खिलाफ कभी भी भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं रहा। याची ने मृतक से पैसों की मांग नही की थी। अधिवक्ता ने कहाकि पैसे मांगने का कोई साक्ष्य नहीं है और न मृतक ने उसे कोई धनराशि दी थी। आत्महत्या के लिए उकसाने का भी कोई साक्ष्य नहीं है।
6 लाख प्रतिमाह रिश्वत दी थी, न देने पर जुआ एक्ट में फंसाया गया
इसके बाद जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और वरिष्ठ अधिवक्ता आई के चतुर्वेदी ने कहाकि वास्तव में मृतक ने पूर्व में 6 लाख रुपये प्रति माह रिश्वत दी थी। लेकिन बाद में उसका व्यवसाय नहीं चल रहा था, इसलिए वह रकम देने में असमर्थ था। इसके बाद से उसे लगातार परेशान किया गया। इससे ऊबकर उसने खुदकुशी कर ली। पैसा ना देने के कारण ही उसे जुआ खेलने के फर्जी मुकदमे में फसाया गया। अदालत ने तथ्यों और परिस्थितियों के आलोक में कहा कि उपलब्ध साक्ष्य को ट्रायल कोर्ट द्वारा देखा जाना है। मौजूदा स्थिति में जमानत देने का कोई आधार नहीं है। इसके बाद जमानत अर्जी खारिज कर दी।

