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बहराइच हिंसा के दोषी सरफराज को फांसी, बाकी 9 आरोपितों को उम्रकैद

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान भड़की हिंसा के दौरान 22 वर्षी राम गोपाल मिश्रा की हुई थी गोली मारकर हत्या

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अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा की अदालत ने सुनाया फैसला, साक्ष्य के अभाव में तीन आरोपित बरी

13 अक्टूबर 2024 को हुई थी घटना, कोर्ट ने दोषियों पर लगाया एक-एक लाख रूपये का जुर्माना

बहराइच। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में 13 अक्टूबर 2024 को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान भड़की हिंसा के दौरान मारे गए राम गोपाल मिश्रा की हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने गुरूवार को दोषियों को सजा सुनाई। अदालत ने दोषी सरफराज को फांसी और 9 आरोपितों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने सभी दोषियों पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

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बहराइच जिले में 13 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा की अदालत ने सजा सुनाई। आपको बता दें कि अदालत ने 9 दिसंबर को 13 आरोपियों में से 10 को दोषी ठहराया था। तीन आरोपितों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। दोषी ठहराए गए अब्दुल हमीद, उसके बेटे फहीम, तालिब, सैफ, जावेद, सरफराज, जीशान, ननकऊ, शोएब और मारुफ हैं। इनमें से सरफराज को फांसी की सजा मिली है. शासकीय अधिवक्ता प्रमोद सिंह ने बताया कि 13 महीने 26 दिन में ट्रायल पूरा होकर फैसला आया है और यह त्वरित न्याय का उदाहरण है। ट्रायल के दौरान 12 गवाह पेश किये गये। गौरतलब है कि हिंसा की घटना घटना महसी थाना क्षेत्र के महराजगंज में हुई थी। जहां डीजे पर गाना बजाने को लेकर विवाद शुरू हुआ। फिर पथराव और फायरिंग हुई। फायरिंग में गोली लगने से राम गोपाल मिश्रा की मौत हो गई।

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इस मामले में पुलिस ने 11 जनवरी को कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। इसके बाद 18 फरवरी को आरोपितों पर आरोप तय हुए। गवाही के बाद अदालत ने 21 नवम्बर को फैसला सुरक्षित रखा लिया। आरोपितों के खिलाफ धारा 103(2) (मॉब लिंचिंग में हत्या), 191(2), 191(3), 190, 109(2), 249, 61(2) और आर्म्स एक्ट की धारा 30 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। मॉब लिंचिंग में हत्या के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान है। अन्य धाराओं में 2 से 5 वर्ष तक की सजा या मौत की सजा तक हो सकती है। बता दें कि 9 दिसंबर को कोर्ट ने तीन आरोपितों को बरी कर दिया था। उस समय राम गोपाल मिश्रा की पत्नी रोली मिश्रा ने पति के हत्यारों को फांसी देने की मांग की थी। कहा था कि बिना इसके न्याय नही मिलेगा। उन तीन दोषियों को भी सजा मिलनी चाहिए। कोर्ट से बरी हुए आरोपितों में खुर्शीद, शकील और अफजल पर रासुका भी लगाई गई थी। मुकदमे की सुनवाई के दौरान अदालत ने माना सोची-समझी साजिश के तहत हमला किया गया था। पुलिस और अभियोजन पक्ष ने ठोस सबूतों के आधार पर आरोप सिद्ध किए।

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यह हुई थी घटना और बाद में भड़की हिंसा

हंगामे के बीच रेहुआ मंसूर निवासी रामगोपाल मिश्रा अब्दुल हमीद के घर की छत पर चढ़ गए और वहां लगा झंडा उतारकर उसकी जगह भगवा झंडा फहरा दिया। आरोप है कि इसके बाद अब्दुल हमीद, उसके बेटे सरफराज और अन्य आरोपियों ने रामगोपाल को घर के अंदर खींच लिया और बुरी तरह पीटने के बाद उसके पैरों के नाखून उखाड़े और बर्बरता करने के बाद गोली मार दी। लखनऊ ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।रामगोपाल की मौत की खबर फैलते ही भीड़ आक्रोशित हो गई। सड़क जाम कर मूर्ति विसर्जन रोक दिया गया। रातभर विरोध प्रदर्शन चलता रहा। रात में ही डीएम मोनिका रानी और एसपी वृंदा शुक्ला मौके पर पहुंचीं और कई थानों की फोर्स तैनात की गई, बावजूद इसके अगले दिन सुबह फिर हिंसा भड़क उठी। 


 

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