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आजमगढ़ जिला जेल के खाते से 30 नहीं ₹52.85 लाख हुए है गायब, बहन की शादी से लेकर बुलेट खरीदने में खर्च किये पैसे 

हत्यारोपी सहित चार अरेस्ट, जेल अधीक्षक की चेकबुक चुराकर दिया घटना को अंजाम 

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उत्तर प्रदेश, डिजिटल डेस्क।  उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिला कारागार से करोड़ों के फर्जीवाड़े का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जांच में खुलासा हुआ कि जेल से 30 नहीं बल्कि ₹52 लाख 85 हजार रुपये गबन किए गए थे। पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनमें एक पूर्व बंदी भी शामिल है।

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एसपी सिटी मधुबन सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जेल अधीक्षक आदित्य कुमार की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। बीएचयू वाराणसी में इलाज के लिए भेजी गई रकम की शेष राशि के विवरण मांगने पर जब वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद ने अनभिज्ञता जताई, तब जांच में बड़ा घोटाला सामने आया।

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केनरा बैंक, कोतवाली शाखा से खाता विवरण निकलवाने पर ₹52,85,000 की संदिग्ध निकासी का मामला उजागर हुआ। यह पूरी धनराशि पूर्व बंदी रामजीत यादव उर्फ संजय के खाते में स्थानांतरित की गई थी।


कैसे रची गई साजिश

रामजीत यादव, जो 20 मई 2024 को सजा पूरी कर जेल से रिहा हुआ था, ने जेल में रहते हुए अपने साथी बंदी शिवशंकर यादव उर्फ गोरख (राइटर) के साथ मिलकर इस गबन की योजना बनाई। दोनों ने जेल कर्मचारियों मुशीर अहमद और अवधेश पांडेय की मदद से जेल अधीक्षक की चेकबुक चोरी की, फिर फर्जी हस्ताक्षर और मोहर बनाकर रकम निकाल ली।

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रकम कहां खर्च हुई

* रामजीत यादव ने 25 लाख रुपये बहन की शादी में खर्च किए।
* 3.75 लाख रुपये की बुलेट मोटरसाइकिल खरीदी।
* 10 लाख रुपये कर्ज चुकाने में लगाए।
* बाकी रकम में से ₹23,000 पुलिस ने खाते से फ्रीज कर दिए।

अन्य अभियुक्तों में

* मुशीर अहमद ने ₹7 लाख
* शिवशंकर यादव ने ₹5 लाख
* अवधेश पांडेय ने ₹1.5 लाख व्यक्तिगत खर्च में उड़ाए।

पुलिस की कार्रवाई और जांच

उप निरीक्षक दल प्रताप सिंह की टीम ने शनिवार देर रात सभी चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उन्होंने अपराध कबूल कर लिया।
पुलिस ने धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। एसपी सिटी मधुबन सिंह ने बताया कि जांच जारी है और अन्य संभावित संलिप्त कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

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