प्रयागराज। मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर आज त्रिवेणी संगम में आध्यात्मिक आस्था की एक ऐतिहासिक छवि देखने को मिली, जब तीनों प्रमुख पीठों के शंकराचार्यों ने एक साथ संगम में पवित्र डुबकी लगाई।** शुभ चौघड़िया में मध्याह्न के अभिजित मुहूर्त में त्रिवेणी की पूजा के बाद इस पवित्र स्नान का आयोजन हुआ।


शंकराचार्यों ने किया संगम स्नान
इस विशेष क्षण में भाग लेने वाले तीनों पूज्यपाद शंकराचार्य—
- श्रृंगेरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी विधुशेखर भारती जी महाराज
- द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज
- ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज

ने एक साथ त्रिवेणी संगम में स्नान कर भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया।

आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति हो रही है” – शंकराचार्य

त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के बाद तीनों शंकराचार्यों ने समवेत स्वर में कहा कि आज भारतीय संस्कृति का सर्वश्रेष्ठ पर्व है। त्रिवेणी संगम में स्नान कर हमें आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति हो रही है।”



मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी संगम में स्नान करने की परंपरा को लेकर संत समाज का कहना है कि यह स्नान पापों का नाश करता है, मोक्ष प्रदान करता है और आत्मशुद्धि का सर्वोत्तम मार्ग है।


श्रद्धालुओं में दिखा खासा उत्साह
शंकराचार्यों के त्रिवेणी स्नान के इस दिव्य क्षण के साक्षी बनने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर एकत्र हुए। श्रद्धालुओं ने इस दृश्य को अपने कैमरों में कैद किया और जयकारों के साथ आध्यात्मिक वातावरण को और भी दिव्य बना दिया।

मीडिया प्रभारी ने दी जानकारी
शंकराचार्यों के इस संगम स्नान की जानकारी मीडिया प्रभारी संजय पांडेय ने दी। उन्होंने बताया कि मौनी अमावस्या का यह दिन सनातन संस्कृति और धार्मिक आस्था का एक ऐतिहासिक प्रतीक है, जिसमें संतों और श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या ने हिस्सा लिया।**
मौनी अमावस्या के इस शुभ अवसर पर पूरे संगम क्षेत्र में भक्तिमय माहौल रहा, जहां श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित कर रहे थे।