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मां शारदा धाम मैहर की चमत्कारिक महिमा, आल्हा को अमरता वरदान और श्रद्धालुओं की अद्भुत श्रद्धा

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मां शारदा धाम मैहर की चमत्कारिक महिमा, आल्हा को अमरता वरदान और श्रद्धालुओं की अद्भुत श्रद्धा
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पौराणिक महत्ता के अनुसार शक्ति ही धर्म है। शक्ति ही सत्य है। शक्ति ही सर्वत्र व्याप्त है और शक्ति की हम सभी को आवश्यकता है। आइए शक्तिपीठ मां शारदा मैहर धाम की महिमा को जानने की कोशिश करें।

मां शारदा मैहर देवी का मंदिर पहाड़ों के बीच बसा हुआ है. यह दुनिया का एक मात्र ऐसी शक्तिपीठ है जहां अक्सर चमत्कार होते रहे है. आल्हा के अमरता की कहानी दिग दिगंतों में फैली हुई है, कहते है मां शारदा अमर बेटे की मां है.

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मैहर माता के मंदिर की कहानी में एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव भी है. यहां का हर पत्थर, हर पेड़ एक आस्था और विश्वास की कहानी कहता है. कहा जाता है कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों की आंखों में सिर्फ आस्था नहीं, बल्कि अपने जीवन के संघर्षों और मुश्किलों का बोझ भी होता है. जब भक्त माता के दर्शन करते हैं, तो उनके दिल का बोझ हल्का हो जाता है. यहां की हवा में एक अद्भुत शांति और सुकून है, जो भक्तों के दिल को छू लेती है.

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मंदिर के पूर्व प्रधान पुजारी ब्रम्हलीन श्री श्री 108 श्री देवी प्रसाद जी महराज बताते थे कि उन्हें मां की सेवा के दौरान दो बार ऐसा अवसर आया है जब माँ शारदा ने स्वयं अपनी उपस्थिति का प्रमाण दिया. उन्होंने पुस्तक में भी लिखा है कि एक बार माँ शारदा देवी की आरती के समय पूरी जनता के सामने उन्होंने माँ को रसगुल्ले का भोग लगाया और आरती के बाद जब देखा गया तो उसमें से एक रसगुल्ला ऐसा था जैसे किसी ने उसे तोड़कर एक टुकड़ा उसमे से निकाल लिया हो.

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इसी प्रकार दूसरे दृष्टान्त के बारे में उन्होंने लिखा है कि आरती से पहले गर्म खीर को पूरी थाली में बराबर फैलाकर ठंडा करके माँ को भोग लगाया गया और आरती के बाद देखा गया तो उस थाली में तीन उंगलियों के निशान थे. उस स्थान की खीर थाली में से निकल गई थी. वहाँ आरती में मौजूद जनता ने प्रत्यक्ष यह देखा.

वह आगे लिखते है कि अगला दृष्टांत 10 अक्टूबर सन् 2016 आश्विन मास के नवरात्रि की है. जब वह स्वयं नवमी तिथि पर रात्रि में माँ शारदा देवी की आरती कर रहे थे. अचानक भोग की थाली में आग लग गई और देखते ही देखते उसमें रखे भोग पदार्थ अपने आप जलने लगे और सम्पूर्ण भोग प्रसाद का हवन उस थाली में हो गया.

मां शारदा के चमत्कार यहीं मात्र नहीं है. दरबार से मनचाहा वरदान लेने वाले श्रद्धालु दिग दिगंतों में फैले हुए है. आइए जानते है वर्तमान प्रधान पुजारी शास्त्री पवन पांडेय (दाऊ सरकार) आल्हा के नित पूजन करने सहित अन्य अनुभूतियों को लेकर क्या कहते है..

https://youtu.be/lhpl_U7ClIk?si=PHuWn6fck-Uot2-c
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